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________________ प्रमैयचन्द्रिका टीका श०१८ उ०५ सू०१ भास्वरजीवविशेषदेवानां निरूपणम् ३७ दिना विभूषितो वस्त्रादिना इति अलंकृतविभूषितः-वस्त्राभरणादिभिः सज्जितशरीर इत्यर्थः 'एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए' एकः पुरुषोऽनलंकृतविभूषितः वस्त्रभूषणादिभिरसज्जितशरीर इत्यर्थः 'एएसिणं गोयमा!' एतयोः खलु गौतम! 'दोण्हं पुरिसाणं' द्वयोः पुरुषयोः 'कयरे पुरिसे पासाईए' कतरः पुरुषः मासादीयः 'जाव पडिरूवे' यावत् प्रतिरूपः ‘कयरे पुरिसे नो पासाईए जाव नो पडिरूवे' कतरः पुरुषो न प्रासादीयः यावत् नो प्रतिरूपः 'जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए' यो वा स पुरुषोऽनलंकृतविभूषितः 'जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए' यो वा स पुरुषोऽलंकृतविभूषितः अलंकृतविभूषितानलंकृतविभूषितशरीरयोर्मध्ये कतरः प्रासादीयादिगुणोपेतो भवति को वा प्रासादीयादिगुणोपेतो न भवतीति कथय इतिभावः। गौतमः कथयति 'भगवं' भगवन् 'तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासाईए जाव पडिरूवे' तत्र यः पुरुषोऽलंकृतविभूपितः स खलु पासाअलंकृत हो और वस्त्रादि से विभूषित हो तथा 'एगे पुरिसे अणलं. कियविभूसिए' दूसरा अलंकार एवं वस्त्रादि से अलंकृत एवं विभूषित न हो वस्त्रभूषणादि से अलजितशरीर हो तो 'एएसिणं गोयमा, हे गौतम ! इन दोनों पुरुषों के मध्य में कौन पुरुष प्रासादीय यावत् प्रति रूप प्रतीत होगा और 'कयरे पुरिसे नो पासाईए जाव ना पडिरूवे' कौन प्रासादीय यावत् प्रतिरूप प्रतीत नहीं होगा ? 'जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए, जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए' क्या वह जा पुरुष अलंकृत विभूषित है ? या वह जो अलंकृत विभूषित नहीं है ? प्रभु की ऐसी बात सुनकर गौतम ने कहा-'भगवं' हे भगवन् 'तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए' जो पुरुष अलंकृत विभूषित है। 'से गं विशेषथी श६॥डाय भने साहिया शालायमान हाय तथा “एगे पुरिसे अणलंकिय विभूसिए" मा पुरुष माभूषण 242 १२ विगेरेथी परित થયેલ કે સુશોભિત ન હોય એટલે કે વસ્ત્ર અને ઘરેણાથી સજજ થયેલ ન तो "एएसिं णं गोयमा !” 8 जीतम ! म भन्नेमा ये पुरुष प्रसन्नता Gumqatणे यापत प्रति३५ थशे ? अने "कयरे पुरिसे नो पासाइए जाव नो पडिरूवे" भने ध्ये। पुरुष प्रसन्नता SMना। यावत् प्रति३५ नहि भने ? “जे वा से पुरिसे अलंकिरविभूनिए जे वा से पुरिसे अणलं कियविभूसिए" જે પુરુષ અલંકાર અને વિભૂષાવાળો છે. તે પ્રસન્નતા ઉપજાવશે કે જે અલંકાર આદિ વગરને છે તે પ્રીતિજનક લાગશે? આ પ્રમાણે પ્રભુનું વચન સાંભળીને गौतम स्वाभीसे "भगवं" मावन् “तत्थ जे पुरिसे अलंकिय विभूसिया" २ पुरुष मा२ मन साहिथी सुशोभित छ. "से णं पुरिसे पासाईए શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩
SR No.006327
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages970
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size58 MB
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