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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१९ उ०३ सु०२ जघन्योत्कृष्टावगाहनायालपबहुत्वम् ३२७ ख्येयगुणाः ५ । बादरवायुकायिकस्याऽपर्याप्तस्य जघन्याऽवगाहना असंख्येयगुणा ३ । बादर तेजःकायिकस्यापर्याप्तस्य जघन्याऽवगाहना असंख्येयगुणा ७। बादरापकायिकस्य अपर्याप्तस्य जघन्याऽवगाहना असंख्येयगुणा ८। बादरपृथिवीकायिकस्य अपर्याप्तस्य जघन्याऽवगाहमा असंख्येयगुणा ९। प्रत्येकशरीरबादरवनस्पतिकायिकस्य बादरनिगोदस्य एतयोः खलु अपर्याप्तयोः जघन्याऽवगा जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है (बादर वाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा) अपर्याप्तबादरवायुकायिक की जघन्य अवगाहना सूक्ष्मअपर्याप्तक पृथिवीकायिक की जघन्य अवगाहना से असंख्यातगुणी है ६ (बादरतेउकाइयस्त अपज्जत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा) अपर्याप्तबादर वायुकायिक जीव की जघन्य अवगाहना से अपर्याप्सकबादतेजस्कायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ७ (बादरआउकाइयस्स अपज्जत्तस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा) अपर्यास यादवायुकायिक जीव की जघन्य अवगाहना से अपर्याप्त बादर अप्कायिक की जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ८ (बादर पुढवीकाइयस्स अपज्जत्तस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा.' बादरपृथिवीकायिक अपयप्तिक की जघन्य अवगोहना अपर्याप्त बादर अप्कायिक की जघन्य अवगाहना से असंख्यात गुणी है ९ (पत्तयसरीरबादरवणस्सइकाहयस्स बादरनिगोदस्त एगंसि णं अपज्जत्तगाणं जहनिया ओगाहना धन्य मान असण्यात यी छ. 'बादरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्त जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा' अपर्याप्त मा४२ वायुयिनी धन्य અવગાહના સૂક્ષ્મ અપર્યાપ્તક પૃથિવીકાયિકની જઘન્ય અવગાહનાથી અસંખ્યાત गणी छे. 'बादरतेउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहनिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा' અપર્યાપ્તક બાદર વાયુકાવિક જીવની જઘન્ય અવગાહનાથી અપર્યાપ્તક બાદર ते४२४ायिनी धन्य माना असभ्यात आणी छे.७ 'बादर आउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा' अपर्याप्त माह२ वायुायि જીવની જઘન્ય અવગાહનાથી અપર્યાપ્તક બાદર અપૂકાયિક જીવની જઘન્ય અવ. भाना मसण्यात छ.८ 'बादरपुढवीकाइयस्त अपजत्तगरस जहन्निया ओगाहणा असंखेज्जगुणा' माइ२ प्रविधि अपर्याप्त नी धन्य मशालना, अपर्याप्त मा२ मयिनी धन्य मानाथी मसच्यात गणी छे. ८ 'पत्तेयसरीर. बादरवणस्सइकाइयस्त बादरनिगोदस्स एगंसि अपज्जत्तगाण जहन्निया ओगाहणा दोण्ह શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩
SR No.006327
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages970
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size58 MB
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