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भगवतीसूत्रे कति प्रकारा भवतीति चलनाविषयकः प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'तिविहा चलणा पण्णत्ता' त्रिविधा चलना प्रज्ञप्ता त्रैविध्यः मेव दर्शयति 'तं जहा' इत्यादि । 'त जहा' तद्यथा 'सरीरचलगा' शरीरचलना 'इंदियवलणा' इन्द्रियचलना 'जोगवलणा' योगचलना तथा च चलना त्रिधा शरीरेन्द्रिययोगविभक्ता 'सरीरचलणा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता' शरीरचलना खलु भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता तत्र शरीरस्य औदारिकादेः चलनात्तत्प्रायोग्य. पुद्गलानां तत्तद्रूपतया परिण मनव्यापारः शरीरचलना, भगवानाह-गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! 'पंचविहा पण्णत्ता' पश्चविधा पश्चपकारा प्रज्ञप्ता
टीकार्थ-इस सूत्र द्वारा गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है-'कह विहा णं भंते ! चलणा पण्णत्ता' हे भदन्त ! चलना कितने प्रकार की कही गई है ? स्फुटतर स्वभाववाली एजना ही का नाम चलना-कंपना है। इस के उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! तिविहा चलणा पण्णत्ता' हे गौतम! स्फुटतरस्वभाववाली एजनारूप चलना तीन प्रकार की कही गई है। 'तं जहा' जैप्ले-'सरीरचलणा, इंदियचलणा, जोगचलणा' शरीरचलना, इन्द्रियचलना और योगचलना. ___अब गौतम प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'सरीरचलणा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता' हे भदन्त ! शरीरचलना कितने प्रकार की कही गई है?
औदारिक आदि के चलने से तत्प्रायोग्यपुद्गलों का जो तत्तद्रूप से परिणमन व्यापार है उसका नाम शरीरचलना है। इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'गोयमा! पंचविहा पण्णत्ता' हे गौतम!शरीरचलना पांच प्रकार
ટકાથ–આ સૂત્રથી ગૌતમ સ્વામીએ પ્રભુને એવું પૂછયું છે કે "कविहा णं भंते ! चलणा पण्णत्ता" 3 मापन् बना है। प्रनी કહી છે? સ્કુટર સ્વભાવવાળી એજનાનું નામ જ ચલના-કંપના છે, આ प्रश्न उत्तरमा प्रभु ४ छ,-"गोयमा! तिविहा पण्णत्ता" गीतम!
टतर २५ माजी मे ३५ यवनप्रा२नी ही छे, "तं जहा" रेम-"सरीरचलणा, इंदियचलणा, जोगचलणा," शरीरयसना, द्रिय ચલના, અને ચેનચલના, હવે ગોતમ સ્વામી પ્રભુને એવું પૂછે છે કે"सरीरचलणा णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता' है सावन् शरी२ यसमा પ્રકારની કહી છે? ઔદ્યારિક વિગેરેના ચાલવાથી તપ્રાગ્ય પુદ્ગલેનું જે તે તે રૂપથી પરિણમન વ્યાપાર છે તેનું નામ ચલના છે. તેના ઉત્તરમાં પ્રભુ 33 2 3-"गोयमा ! पंवविहा पण्णत्ता” 8 गौतम ! शरीरयसना पाय
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૨