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४२ भक्तप्रत्याख्यान करने वाले अनगार का निरूपण
४३ लवसप्तम देव का निरूपण
४४ अनुत्तरौपपातिक देवों का निरूपण
आठवां उद्देशा
४५ आठवें उद्देशे का संक्षिप्तविषयविवरण ४६ 'अंतर' का निरूपण
४७ जीवविशेष की गति का निरूपण ४८ अम्बड के शिष्यों का निरूपण ४९ अम्बड के विषय का कथन ५० अव्यावाघदेवों का निरूपण ५१ शक्रविशेष का निरूपण ५२ व्यन्तरविशेष जृंभक देवों का निरूपण
नववा उद्देशा
५३ नववे उद्देशे का विषयविवरण ५४ अनगार विशेष का संक्षिप्त निरूपण ५५ पुद्गल विशेष का निरूपण ५६ सूर्यप्रभा का निरूपण
५७ श्रमण विशेष का निरूपण
दशai उद्देशा
५८ दशवें उद्देशे का संक्षिप्तविषयविवरण ५९ केवली प्रभृति का निरूपण
पंद्रहवां शतक
६० पंद्रहवें शतक का संक्षिप्तविषयविवरण ६१ गोशालक के वृत्तांत का निरूपण ६२ रेवती गाथापत्नी के दान का निरूपण ६३ सुनक्षत्र अनगार की गति का निरूपणम् ६४ गोशालक की गति का वर्णन
॥ समाप्त ॥
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૧
३४१-३४५
३४६-३४९
३५० - ३५३
३५४-३५५
३५६-३६५
३६६-३७३
३७४-३७५
३७६-३७७
३७८-३८०
३८१-३८४
३८५-३९१
३९२-३९३
३९४-३९८
३९९-४०५
४०६-४०९
४१०-४१६
४१७-४१८
४१९-४३२
४३३-४४१
४४२-७३६
७३७-८०३
८०४-८१२
८१३-८९२