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________________ भगवती सूत्रे , 9 ख्येयमदेशिकः स्कन्धो भवति, 'जात्र अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए. एगयओ असंखेज्जपरसिए खंधे भवः' यावत् - एकतः परमाणुपुद्गलो भवति, एकतः त्रिचतुःपञ्चषट्सप्ताष्टनव प्रदेशिकच स्कन्धो भवति, एकतः असंख्ये प्रदेशिकः स्कन्धो भवति, अथवा एकतः- एकभागे परमाणुपुद्गलो भवति, एकत:अभागे दशप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, एकतः - अन्यभागे असंख्येयप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, ' अहवा एगे परमाणुपोग्गले, एगे संखेज्जपए सिए खंधे भवइ अथवा एकः परमाणुपुद्गलो भवति, एकः संख्येयमदेशिकः स्कन्धो भवति, एकः असंख्येयप्रदेशिकः स्कन्धो भवति, ' अहवा एगयओ एगे परमाणुपोग्गले, एगयत्रो दो असं वेज्ज एसिया खंधा भवंति ' अथवा एकतः एकः परमाणुपुद्गलो 'जाव अहवा - एगपओ परमाणुपोग्गले, एगयओ दसपएसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ' यावत् अथवा एक भाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, एकभाग में तीन, चार, पांच, छह, सात, आठ, नौ, प्रदेशिक स्कन्ध होना है और एक अन्य भाग में असंख्यात - प्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा एक भाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, अपरभाग में एक दशप्रदेशिक स्कन्ध होता है, और अन्यभोग में असंख्यातप्रदेशी एक स्कन्ध होना है, 'अहवा - एगे परमाणुपोग्गले, एगे संखेज्जप एसिए, एगे असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ' अथवा एक भाग में एक परमाणुगुल होता है, एकभाग में संख्यातप्रदेशी स्कन्ध होता है, और अन्य भाग में असंख्यातप्रदेशी एक स्कन्ध होता है, अहवाएगयओ एगे परमाणुवोग्गले, एगयओ दो असंखेजपएसिया संधा भवंति ' अथवा एक भाग में एक परमाणुपुद्गल होता है एवं अपर भाग ३५ त्रीने विभाग जने छे. " जाव अहवा - एगयओ परमाणुरोग, एगयओ द एसिए खंधे, एगयओ असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ " अथवा मे लागभां परमाणु युद्दगस होय छे, मील लागभांत्र, यार, पांथ, छ, सात, આઠ, નવ અથવા દસ પ્રદેશેાવાળા સ્ક ધ હાય છે, અને ત્રીજા ભાગમાં અસખ્યાત પ્રદેશો સ્કધ હાય છે. 6 ७८ " अहवा - एगे परमाणुपोग्गले, एगे संखेज्जपए सिए एगे दो असंखेज्जपरखिए खंधे भवइ ’” અથવા એક ભાગમાં એક પરમાણુપુદ્ગલ ખીજા ભાગમાં સંખ્યાત પ્રદેશી એક કંધ અને ત્રીજા ભાગમાં અસખ્યાત પ્રદેશી ધ હાય છે. 66 अहवा एगयओ एगे परमाणुपोगले, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति” શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦
SR No.006324
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages735
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size43 MB
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