SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 73
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५९ प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १२ उ० ४ सू० १ परभाणुपुद्गल निरूपणम् दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे, भवइ' एगयओ दो तिप्पएसिया धा भवंति' अथवा एकत: - एकभागे द्वौ परमाणुपुद्गलौ भवतः एकत: - अपरभागे द्विपदेशिकः स्कन्धो भवति, एकत: - अन्यमागे द्वौ त्रिदेशिको स्कन्धौ भवतः, 'अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिन्नि दुप्पएसिया संधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे, भवइ' अथवा एकत: एकभागे परमाणुपुद्गलो भवति, एकत:अपरभागे यो द्विपदेशिकाः स्कन्धाः भवन्ति, एकत: - अन्यभागे त्रिदेशिकः स्कन्धो भवति, 'अहवा पश्च दुप्पएसिया खंधा भवंति ' अथवा द्विपश्चमदेशिकाः स्कन्धा भवन्ति, 'छाकज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला एगयओ पंचपरसिए खंधे भव' दश देशिकः स्कन्धः षोढा क्रियमाणः, एकतः - एकभागे पश्च ।' अहवा - एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुप्पएसिए खंधे भवइ, एगयओ दो तिप्पएसिया खंधा भवंति' अथवा एकभाग में दो परमाणुपुद्गल होते हैं, एक दूसरे भाग में एक द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है और एक एक अन्य भाग में दो त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होते है । 'अहया - एगओ परमाणुपोग्गले, एगयओ तिनि दुप्पएसिया खंधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ' अथवा एकभाग में एक परमाणुपुद्गल होता है, एकभाग में तीन द्विप्रदेशिक स्कन्ध होते हैं, और एक अन्यभाग में एक त्रिदेशिक स्कन्ध होता है। 'अहवा-पंच दुप्प एसिया खंधा भवंति ' अथवा पांच द्विप्रदेशी स्कंध होते हैं। 'छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोग्गला, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवइ,' यह दशप्रदेशिक स्कंध जब छह विभागों में विभक्त किया जाता है तब एक भाग में - 99 એક વિભાગ થાય છે. अहवा - एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे भवइ, एगयओ दो तिप्पएसिया संधा भवंति " अथवा એક એક પરમાણુ પુદ્ગલવાળા એ વિભાગેા, દ્વિપ્રદેશિક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ અને त्रिप्रदेशिङ मे २४६ ३५ मे विलागी पडी लय छे. " अहबा - एगयओ पर माणुोगले एगयओ तिन्नि दुप्परसिया संधा, एगयओ तिप्पएसिए खंधे भवइ અથવા એક પરમાણુ પુદ્ગલરૂપ એક વિભાગ, ત્રણ દ્વિદેશિક સ્મુધ રૂપ ત્રણ વિભાગ અને ત્રિપ્રદેશિક એક સ્કંધ રૂપ એક વિભાગ થાય છે. “ अहवापंच दुष्पसिया खंधा, भवति ,, અથવા દ્વિદેશિક પાંચ સ્કંધ રૂપ પાંચ विलागो थाय छे. “ छहा कज्जमाणे एगयओ पंच परमाणुपोगला, एगयओ पंच पसिए खंधे भवइ દસ પ્રદેશિક સ્કંધના જ્યારે છ વિભાગે કરવામાં આવે છે, ત્યારે એક એક પરમાણુ પુદ્દલવાળા પાંચ વિભાગે। અને પાંચ 66 શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૦ ܕܪ
SR No.006324
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 10 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages735
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size43 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy