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________________ ASHLEE प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१२ उ०२ ०२ उदायनवर्णनम् ७७ जयंतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मियं जाणप्पार दुरुढा समाणी नियगपरिवा लगा जहा उसमदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ' ततः खलु सा मृगावती देवी जयन्त्या श्रमणोपासिकया सार्द्ध धार्मिकं यानपावरम् आरूढा सती, निजकपरिवारका निजपरिवारपरिटता यथा ऋषभदत्तमकरणे, नवमशतके त्रयस्त्रिंशत्तमोद्देशके प्रतिपादितम् तथैवात्रापि प्रतिपत्तव्यम् , यावत्-धार्मिकात् यान प्रारात् प्रत्यवरोहति-अवतरति, 'तएणं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहिं खुज्जाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदित्ता, नमंसित्ता, उदायणं रायं पुरओ कडे ठिइया चेव जाव पज्जुवासइ' ततः सा मृगावती देवी जयन्त्या श्रमणोपासिकया सार्द्धम् बहीभिः कुब्जाभिः दासीमिः परिवृता यथा देवानन्दा नवमशतके त्रयस्त्रिंशत्तमोद्देशके पतिपादिता तयैव यावत्-वन्दित्वा, नमस्यित्वा सद्धिं धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा समाणी नियगपरिवालगा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ' इस प्रकार श्रमणो. पासिका जयन्ती के साथ धार्मिक श्रेष्ट यान पर चढ़ी हुई वह मृगावती देवी अपने परिवार से युक्त हुए ऋषभदत्त के प्रकरण में-नौवें शतक में ३३ वे उद्देशक में कहे अनुसार उस धार्मिक श्रेष्ठ यान से नोचे उतरी 'तएणं सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहिं खुजाहिं जहा देवाणंदा जाव वंदित्ता नमंसित्ता उदायणं राय पुरओ कई ठिझ्या चेव जाव पज्जुवासह' नीचे उतर कर उस मृगा. वतीने श्रमणोपासिका जयन्ती के साथ अनेक कुब्ज दासियों से परिवृत हुई देवानन्दा की तरह जैसा कि नौवें शतक में ३३३ उद्देशक सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं धम्मिय आणप्पवर दुरूढा समाणी नियगपरिवालगो जहा उसमदत्तो जाव धम्मियाओ, जाणत्पवराओ पच्चोरुहइ " श्रमसि ! यातानी साथ धामि श्रेष्ठ यानमा मेसीन મહાવીર પ્રભુના દર્શન કરવા જતી તે મૃગાવતી દેવીનું વર્ણન ઋષભદત્તના પ્રકરણમાં પિતાના પરિવારથી યુક્ત એવી દેવાનંદ બ્રાહ્મણના તે પ્રસંગના વર્ણન પ્રમાણે સમજવું. ચદ્રાવતરણ ચૈત્ય (ઉદ્યાન)ની સમીપે તેમણે રથને ઊભો २॥ ये अन तेथे। २थमाथी नये तय “तरण सा मियावई देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धिं बहूहिं खुज्जाहि जहा देवाणंदा जाव वंदित्ता नमंसित्ता उदायण राय पुरओ कट्ट टिइया चेव जाव पज्जुवामइ” त्यार साह, मन કુબ્બાઓથી વીંટળાયેલી તે મૃગાવતી દેવીએ શમણે પાસિકા જયન્તીની સાથે મહાવીર પ્રભુને વંદણું નમસ્કાર કર્યા અહી’ સમસ્ત કથન નવમા શતકના શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯
SR No.006323
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 09 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1967
Total Pages760
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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