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भगवतीसूत्रे अष्टमु अग्रमहिषीषु मध्ये एकैकस्याः देव्याः अग्रमहिष्याः षोडश षोडश देवी सहस्राणि परिवारः प्राप्तः, शेषं यथा शक्रस्य प्रतिपादितं तथैव ईशानस्यापि प्रतिपत्तव्यम्, तथाच-ताभ्यः अष्टाग्रमहिषीभ्यः एकैका अग्रमहिषी अन्यानि षोडश षोडश देवी सहस्राणि परिवार विकुक्तुिं प्रभुः, एवमेवोक्तरीत्या अष्टा. विंशति सहस्राधिकलक्ष देवी परिवार विकुक्तुिं प्रभुः तदेतत् त्रुटिकं नाम वर्ग: इत्यादि शक्रवदेव बोध्यम् । स्थविराः पृच्छन्ति-ईसाणरस गं भंते ! देविंदस्स सोमस्स महारण्णा कइ अग्गमहिसीओ ? पुच्छा' हे भदन्त ! ईशानस्य खलु देवेन्द्रस्य लोकपालानां मध्ये सेामस्य महाराजस्य कति अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः ? इति पृच्छा,भगवानाह-अजो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ' हे आर्याः ! आठ अग्रमहिषियों में से एक २ अग्रमहिषी का देवी परिवार १६, १६ हजार का है। अवशिष्ट कथन जैसा शक्र का किया गया है वैसा ईशान का भी जानना चाहिये । तथा इन आठ अग्रसहिषियों में से एक एक अग्रमहिषी का देवी परिवार सोलह २ हजार का कहा गया है इन आठ अग्रमहिषियों में प्रत्येक में ऐसी शक्ति है कि यदि वे चाहे तो अपनी उस विकुर्वणा शक्ति द्वारा अन्य और सोलह २ हजार देवी परिवार को उत्पन्न कर सकती हैं। इस प्रकार से एक लाख २८ हजार का देवी परिचार कहा गया है । यही इसका त्रुटिक है ! इत्यादि सब कथन ईशान का भी शक की तरह जानना चाहिये। अब स्थविर प्रभु से ऐसा पूछते हैं-'ईसाणस्त णं मते ! देविंदस्स सेमिस्स महारण्णो कइ अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओं' हे भदन्त ! देवेन्द्र ईशान के जो लोकपाल सोम है उनकी अग्रमहिषियां कितनी कही गई हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आर्यो! ईशान દેવીપરિવાર કહ્યો છે અને તે પ્રત્યેક અગ્રમહિષીમાં એવી શક્તિ રહેલી હોય છે કે જે તેઓ ધારે તે પોતપોતાની વિઝિયશક્તિ વડે બીજી ૧૪-૧૬ હજાર દેવીઓનું નિર્માણ કરી શકે છે. આ રીતે ઈશાનેન્દ્રને ૧ લાખ ૨૮ હજાર દેવીઓને પરિવાર થાય છે, તે પરિવારને ઈશાનેન્દ્રનું ત્રુટિક કહે છે. ઈશાકેન્દ્રના વિષયને અનુલક્ષીને બાકીનું સમસ્ત ક ન શકના પૂર્વોક્ત કથન અનુસાર સમજવું.
स्थविशनो पक्ष- "ईसाणस गं भंते ! देविंदस्स सोमस्स महारण्णो कई अगमहिसीओ पण्णत्ताओ?" सन् ! देवेन्द्र १२०० शानना बाल સોમ મહારાજને કેટલી અઝમહિષીઓ કહી છે? મહાવીર પ્રભુનો ઉત્તર"अजो! चत्तारि अगमहिसीओ पण्णत्ताओ" मा ! शानेन्द्रनापास
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯