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प्रमेयचन्द्रिका टीका श०१० उ०५ सू०२ चमरेन्द्रादीनामग्रमहिषीनिरूपणम् १९३
शक्रस्य खलु देवेन्द्रस्य देवराजस्य लोकपालानां मध्ये सोमस्य महाराजस्य लोकपालस्य कति अग्रमहिष्यः प्रज्ञप्ताः? इति पृच्छा, भगवानाह-'अज्जो ! चत्तारि अग्गभहिसीओ पण्णत्ताओ' हे आर्याः शक्रलोकपाल सेामस्य चतस्रः अग्र. महिष्यः प्रज्ञप्ताः, 'तंजहा-रोहिणी १ मदणा २ चित्ता ३, सोमा ४, तद्यथारोहिणी १, मदना २, चित्रा ३, सेामा ४, । 'तत्थणं एगमेगाए देवीए सेसंजहा चमरलोगपालाण' तत्र खलु चतसृषु अग्रमहिषीषु एकैकस्या देव्याः एकैक देवी सहस्रं परिवारः प्रज्ञप्ता, शेषं यथा चमरलोकपालानां प्रतिपादितं तथैवात्रापि प्रतिपत्तव्यम्, तथा च ताभ्यश्चतसभ्योऽप्रमहिपीभ्यः एकैका अग्रमहिषी अन्यत् एकै देवीसस परिवार विकुर्षितुं प्रभुः, एवमेवोक्तरीत्या सपूर्वापरेण चत्वारि देवो सहस्राणि परिवारः, तदेतत् त्रुटिकं नाम वर्गः इत्यादिकं स्वयम्कइ अग्गमहिसीओ पणत्ताओं' हे भदन्त ! देवेन्द्र देवराज शक्र के सोम लोकपाल की कितनी पट्टदेवियां कही गई हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-'अजो! चत्तारि अगमहिसीओ पण्णत्ताओं' हे ओयों! शक्र के लोकपाल सोम की चार पट्टदेवियां कही गई हैं। 'तं जहा' जो इस प्रकार से हैं-'रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा' रोहिणी, मदना, चित्रा और सोमा 'तत्थ णं एगमेगाए देवीए० सेसं जहा चमरस्स लोगपालाणं' इनमें से एक एक देवी का देवी परिवार एक २ हजार का कहा गया है। बाकी का और सब कथन चमर के लोकपालों के जैसा यहां पर लगा लेना चाहिये। इस प्रकार से इन चार अग्रमहिषियों में से प्रत्येक अयमहिषी में ऐसी शक्ति है कि यदि वे चाहे तो इनके अतिरिक्त और भी १-१ हजार देवी परिवार की विकुर्वणा कर सकती है। कइ अग्गम हिसीओ पप्णत्ताओ" ७ ११न् ! हेवेन्द्र, ३१४ शनाala સોમ મહારાજને કેટલી અગ્રમહિષીઓ કહી છે?
महावीर प्रसुना उत्तर-“ अज्जो! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ" છે આ! શકના લેકપાલ સેમ મહારાજને ચાર અઝમહિષીઓ કહી છે. " तंजहा" तेमना नाम मा प्रमाणे छे.-" रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा" (१) Akel, (२) महना, (3) Nिal भने (४) सभा. “ तत्थणं एगमेगाए देवीए. सेसं जहा चमरस्स लोगशलाणं" यमरना सासनी महिषासानी જેમ સામ લેકપાલની અગ્રમહિષીઓને એક એક હજાર દેવીઓનો પરિવાર કહ્યો છે. તે પ્રત્યેક અગ્રમહિષી પિતપોતાની વયિ શક્તિ વડે બીજી એક એક હજાર દેવીઓનું નિર્માણ કરી શકે છે. આ રીતે શકના લેકપાલ સમને
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૯