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प्रमेयचन्द्रिकाटी.शर उ० ३४ सू०१ पुरुषावादिहननतद्वैरबन्धनिरूपणम् ६५३ पुरिसवेरेणं पुढे ?' हे भदन्त ! पुरुषः खलु कश्चित् पुरुष धनन् कि पुरुषवरेण स्पृष्टः-पुरुषवधजन्यपापेन स्पृष्टः संबद्धो भवति ? कि वा नो पुरुषवैरेण-नो पुरुषवधजन्यपापेन स्पृष्टः संबद्रो भवति, भगवानाह-' गोयमा ! नियमा ताव पुरिसवेरेग पुढे ' हे गौतम ! पुरुषः खलु पुरुषं धनन् नियमात् नियमतस्तावत् इति वाक्यालङ्कारे पुरुषवरेण पुरुषवधजन्यपापेन स्पृष्टो भवति, ' अहमा पुरिसवेरेण य, णो पुरिसवेरेग य पुढे ' अथवा पुरुषः पुरुषं धनन् पुरुषौरेण पुरुषवधजन्य पापेन च, नो पुरुषवैरेण णो पुरुष जन्यपापेन च स्पृष्टः सम्बद्धो ऐसा पूछते हैं-' पुरिसेणं भंते ! पुरिसं हणमाणे कि पुरिसवेरेणं पुढे नो पुरिसवेरेणं पुढे ' हे भदन्त ! कोई पुरुष जब किसी पुरुष को हत्या करता है-तब वह पुरुष क्या उस पुरुष के वैर से उस पुरुष के वध जन्य पापले-संबद्ध होना है ? या उस पुरुष के वधजन्य पाप से अतिरिक्त अन्य जीवों के वधजन्य पाप से संबद्ध होता है ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं ' गोषमा' हे गौतम ! 'नियमा ताव पुरिस. वेरेण पुढे' पुरुष की हत्या करता हुआ वह पुरुष नियम से उस पुरुष के वधजन्य पास से संबद्ध होता है। 'अहबा पुरिस वेरेण य, णो पुरिसवेरेण य पुढे' अथवा वह पुरुष पुरुष का हनन करता हुआ पुरूष वध जन्य पाप से और नो पुरुष वध जनित पाप से संबद्ध होता है। ' अहवा पुरिसवेरेण य णो पुरिस वेरेहि य पुढे ' अथवा पुरुष का हनन करता हुआ वह पुरुष पुरुषवध जन्य पाप से एवं नो पुरुष वध जन्य पापों से संबद्ध होता है । तथा च-पुरुष की हत्या हो जाने के વ્યક્તિ શું તે પુરુષના જ વેરથી-તે પુરુષના વધજન્ય પાપથી-સંબદ્ધ થાય છે, કે તે પુરુષ સિવાયના અન્ય જીવોના વધ જન્ય પાપથી પણ સંબદ્ધ થાય છે?
महावीर प्रभुनी उत्त२-" गोयमा !" गौतम ! " नियमा पुरिसवेरेणं पटे?" ते पुरुषन। १५ ४२ना२ व्यतिनियमथी । (अवश्य ) त पुरुषना वरथी १५ मन्य पापथा-सद्ध थाय छे. " अहवा पुरिसवेरेण य, जो पुरिसवेरेण य पुढे " म त पुरुषने। १५ ४२॥२ ०यति ते पुरुषन। વધ જન્ય પાપથી અને પુરુષ (તે પુરુષ સિવાયના કેઈ એક જીવ)ના १५ गन्य ५.५थी स. थाय छे, " अहया पुरिसवेरेण य णो पुरिसवेरेहि य पुढे" अथवा ते पुरुष १५ ४२ना२ ०यति ते पुरुषना १५ न्य પાપથી અને તે પુરુષ સિવાયના અન્ય જીવોના વધ જન્ય પાપોથી સંબદ્ધ थाय छ. पार्नु तापय से छे , मी min ( 4 ) भने छ.
श्रीभगवती. सूत्र: ८