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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका २९ ७०३३ सू०१० जमालेदीक्षानिरूपणम् ५५३ ग्गामे नयरे, जेणेव बहुसालए चेहए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमगाए' क्षत्रियकुण्डग्रामस्य नगरस्य मध्यमध्येन निर्गत्य यत्रैव ब्राह्मणकुण्डग्राम नगरं यत्रैव बहुशालकं चैत्यं, यत्रैव श्रमणो भगवान् महावीरः आसीत्, तत्रैव तस्मिन्नेव स्थाने गमनाय गन्तुम् प्राधारयत् प्रस्थितवान् गन्तुं प्रवृत्त इत्यर्थः ॥ सू० १०॥ मूलम्-" तएणं तस्त जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तियकुंडग्गामस्स नयरस्त मज्झं मज्झेणं निग्गच्छमाणस्स सिंघाडगतियच उकजाब पहेसु वहां अत्यत्थिया जहा उववाइए जाव अभिनंदंता य अभित्थुगंता य एवं वयासी जय जय गंदा ! धम्मेणं, जय जय गंदा ! तवेणं, जय जय गंदा ! भदंते अभग्गेहिं गाणदंसणचरित्तमुत्तमेहि अजियाइं जिणाहि, निकला और निकल कर जहां ब्राह्मण कुण्डग्राम नगर, जहां पहुशालक उद्यान और उसमें भी जहाँ श्रमण भगवान महावीर विराजमान थे उस ओर चला, सर्व ऋद्धिसे लेकर दुन्दुभि पर्यन्त तकके पाठका अर्थ विस्तारपूर्वक औपपातिक सूत्र के ५२ चे सूत्रकी टीकामें किया गया है, अतः वहां देख लेना चाहिये 'वरत्रुटितयमकसमक प्रबादितेन ' आदि सूत्र पाठका अर्थ इसप्रकारसे है-श्रेष्ठ त्रुटितोंके (बांजोंके) साथ एक साथमें शंख, पणव, ( ढोल विशेष) पटह, भेरी, झल्लरी, झालर, खरमुही, वाद्य वि. हुडुक्क मुरज, मृदङ्ग, और दुन्दुभि सब बाजे बजाये जा रहे थे, सो इनकी नादित रव-प्रतिध्वनि हो रही थी॥सू.१०॥ गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए जेणेत्र समगे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्य गमणाए" क्षत्रिय याम नानी २१ १२ १२ये धन, प्राणाम नग. રના બહુશાલક ઉદ્યાન કે જ્યાં શ્રમણ ભગવાન મહાવીર વિરાજતા હતા, ત્યાં જવા નીકળે. સર્વ ઋદ્ધિથી લઈને દુભિ પર્યન્તના સૂત્રપાઠનો અર્થ પપાતિક સૂત્રના પર માં સૂત્રની ટીકામાં વિસ્તારથી આપેલ છે, તે ત્યાંથી पांया सेवा. “वरटितयमकसमकप्रवादितेन " माह सूत्रपाठन सापाय આ પ્રમાણે છે- શ્રેષ્ઠ ત્રુટિતેની સાથે સાથે શંખ, પણવ, પટહ, ભેરી, ઝાલર मरभुमी, हु, मु२४, भृग, मने दुन्दुमि anti odi मने ते पानि ને પ્રતિધ્વનિ સંભળાતે હતે. છે સૂ. ૧૦ છે भ-७० श्रीभगवती. सूत्र: ८
SR No.006322
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 08 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages685
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size40 MB
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