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भगवतीसूत्र भा. आठवेंकी विषयानुक्रमणिका अनुक्रमाङ्क
विषय नववे शतकका बत्तीसवें उद्देशेका प्रारंभ बत्तीसवें अध्ययनका विषयविवरण गांगेय अनगारका वक्तव्य उद्वर्तनाका निरूपण
१४-२० भवान्तरमें प्रवेशनका निरूपण
२१-२५३ नैरयिक प्रवेशनके अल्प वहत्वका निरूपण
२५७-२५६ तिर्यच योनिक प्रवेशका निरूपण
२५७-२७२ मनुष्यों के प्रवेशनकका निरूपण
२७३-२८५ देवोंके भवान्तरमें प्रवेशनकका निरूपण
२८६-३०८ नैरयिक वगैरहके भवान्तरमें प्रवेशनकका अल्प बहुत्व
आदिका निरूपण
३०८-३१० नैरयिक आदिके उत्पात आदि का सान्तर निरन्तर
___ होनेका कथन ३१०-३४८ गांगेय अनगार के निर्वाण का निरूपण
३४९-३५१ तेतीसवे उद्देशाका प्रारंभतेत्तीसवें उद्देशेका विषय विवरण
३५२-३५५ ऋषभदत्ता के निर्वाण का वर्णन
३५६-३८१ देवानंदाके पुत्रवात्सल्यताका निरूपण
३८२-३९८ जमालि प्रकरण का कथन जमाली के दीक्षा ग्रहणका निरूपण
४९९-५७१ १७ महावीर स्वामीके कथनके प्रति जमाली का अश्रद्धा
युक्त होने का कथन ५७२-६०३ १८ जमाली के मिथ्याभिमानपने का और कालधर्ममाप्तिका कथन ६०४-६१९ १९ जमालीका किल्बिपिक देवपने से उत्पन्न होनेका कथन ६२०-६२४ २० देवकिबिपिकों के भेदोंका कथन
६२५-६४. चोतीसवां उद्देशा. २१ पुरुष, अश्व आदिकों का हनन-मारना और उनके वैर
बंधनका निरूपण ६४१-६५६ पृथ्वीकायिक आदिकोंके आनपाण आदिका निरूपण ६५७-६७० २३ वृक्षके चालनमें वायुकाय संबंधी क्रियाका निरूपण ६७१-६७१
समाप्त
श्रीभगवती. सूत्र: ८