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प्रमैयचन्द्रिका टी० श० ८ उ०८सू०३ कर्मबन्धस्वरूपनिरूपणम् ५९ भन्स्यति इति प्रथमो विकल्पः, एवमन्यान् सप्त विकल्पान् प्रतिपादयति'बंधी, बंधइ, न बंधिस्सइ २' किं वा बद्धवान् , बध्नाति, न भन्स्यति२, 'बंधी, न बंधइ, बंधिस्स३३' किं वा बद्धवान् न बध्नाति, भन्त्स्यति च३, 'बंधी, न बंधइ, न बंधिस्सइ४, किंवा बद्धवान् न बध्नाति, न भन्त्स्यति४, 'न बंधी, बंधइ, बंधिस्सइ ५' किं वा न बद्धवान् , अपि तु वनाति, भन्त्स्यति५, 'न बंधी, बंधइ, न बंधिस्सइ ६' किं वा न बद्धवान् , अपि तु बध्नाति, न वा भन्त्स्यति६, 'न बंधी न बंधइ, बंधिस्सइ ७' किं वा न बद्धवान , न वा बध्नाति, किन्तु भन्त्स्यति७, 'न बंधी, न बंधइ, न बंधिस्सइ ८ ?, किं वा न बद्धवान् , न बध्नाति, न वा पहिले बांधा है, इसे क्या वह वर्तमान में बांधता है, भविष्यत् में क्या वह इसे नहीं बांधेगा ? २ 'वधी, न बंधइ, बंधिस्सइ ३ ' किसी जीव ने भूतकाल में क्या इसे बाँधा है ? वर्तमान में वह इसे नहीं बांधता है ? भविष्यत् काल में क्या वह इसे बांधेगा ?३ 'बंधी, न बंधइ न बंधिस्सइ ४' भूतकाल में किसी जीव ने क्या इसे बांधा है, वर्तमान में वह इसे नहीं बांधता है ? और भविष्यत्काल में भी क्या वह इसे नहीं बांधेगा ४, 'न बंधी, बंधइ, बंधिस्सइ ५ ' क्या भूत काल में इसे किसी जीव ने नहीं बांधा है ? वर्तमान में वह क्या इसे बांधता है ? और भविष्यत् में भी इसे क्या वह बांधेगा? ५ 'न बंधी, बंधइ, न बंधिस्सइ ६ ' भूतकाल में इसे क्या किसी जीव ने नहीं बांधा है ? वर्तमान में वह बांधता है ? भविष्यत्में वह इसे नहीं बांधेगा क्या ? ६ 'न बंधी, न बंधइ बंधिस्सइ ७' भूतकाल में इसे किसी जीवने नहीं वांधा है, वर्तमानमें वह इसे नहीं बांधता है, भविष्यत् में वह इसे बांधेगा? ७ अथवा --'न बंधी, न बंधइ न बंधिस्सइ ८' न इसे किसी ने पहिले बांधा બંધ બાંધે છે, વર્તમાનમાં શું તે તેને બાંધે છે, ભવિષ્યમાં શું છે તેને नही मांधे ? (3) “बधी, न बधइ, बघिस्सइ" वे भूतमा ते કર્મને બંધ બાંધ્યો હોય, વર્તમાનમાં બાંધતે ન હોય અને ભવિષ્યમાં मांधवानो डाय थे सन छ मई? (४) बधी, न बधइ न बघिस्सइ" आई જીવે ભૂતકાળમાં તે કર્મને બંધ બાંધે છે, વર્તમાનમાં બાંધતો નથી અને भविष्यमा मधिशे नही, मे मन छ म १ (५) “न बधी, न बधइ, न बांधिस्सइ" शु भूतभा वेतन मध्ये नथी ? शुक्तमानमा ते तेन मधे छ ? शुभविष्यमा त तन मध- १ (6) न बधी, बधइ, न बघिस्सइ" शुभूतmi त मध 5 मध्ये नथी ? भानमा શું એજ જીવ તેને બાંધે છે ? અને શું ભવિષ્યમાં તે તેને નહીં બધે ?
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭