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________________ - - ३६० भगवतीसूत्रे पुद्गलपरिवर्तम् । अथाहारकशरीरदेशबन्धकादीनामल्पबहुत्यादिकं प्ररूपयति-'एएसि णं भंते ! जीवाणं आहारगसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंधगाणय कयरे कयरेहितो जाव विसेसाहिया ? ' हे भदन्त ! एतेषां खलु जीवानाम् आहारकशरीरस्य देशबन्धकानां, सर्वबन्धकानाम् , अबन्धकानां च कतरे कतरेभ्यो यावत्अल्पा वा, बहुका वा, तुल्या वा, विशेषाधिका वा भवन्ति ? भगवानाह'गोयमा ! सम्बत्योवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा संखेज्जगुणा, अबंधगा अणतगुणा' हे गौतम ! सर्वस्तोका जीवाः आहारकशरीरस्य सर्वआहारकशरीर का देशबंधान्तर जघन्य से एक अन्तर्मुहूर्त का होता है और उत्कृष्ट से कुछ कम अई पुद्गलपरावर्तनरूप होता है। ___ अब सूत्रकार आहारक शरीरमें, देशबंधकों में, सर्वबंधकों में और अबंधकों में अल्पबहुत्व का प्रतिपादन करते हैं-इसमें गौतम ने प्रभु से ऐसा पूछा है (एएसिं णं भंते ! जीवाणं आहारगसरीरस्स देशबंधगाणं सव्वबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया) हे भदन्त ! इन आहारक शरीर के देशबंधकों में, सर्वबंधकों में, और अबन्धकों में से कौन से जीव किन जीवों की अपेक्षा अल्ला हैं ? कौन जीव किन जीवों की अपेक्षा बहुत हैं ? कौन जीव किन जीवों के बरा. घर है ? और कौन जीव किन जीवों से विशेष अधिक हैं ? इसके उत्तर में प्रभु कहते हैं-(गोयमा) हे गौतम ! (सम्वत्थोवा जीवा, आहारग सरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा संखेज्जगुणा, अबंधगा अणंઓછું એક અન્તર્મુહૂર્તનું અને વધારેમાં વધારે અર્ધ પુલ પરાવર્તન કરતાં ડું ન્યૂન હોય છે. હવે સૂત્રકાર આહારક શરીરના દેશબંધક, સર્વબંધક અને અબંધકોના અલ્પ બહુવનું પ્રતિપાદન કરવા નિમિત્તે નીચેના પ્રશ્નોત્તરે माये छ गौतम स्वाभान प्रश्न-" ए ए सिं ण भंते ! जीवाण आहारगसरीरस्स देसबधगाण', सम्बधगाण', अवधाण य कयरे कयरे हितो जाव विसे. साहिया ? " महन्त ! । माडा२४ शरीरन देशमधी, समधी अने અબંધમાંથી ક્યા જી કયા જી કરતાં અલ્પ છે? કયા જી કયા જી. કરતાં અધિક છે ? કયા જી ક્યા જીવેની બરાબર છે? કયા છે કયા જી કરતાં વિશેષાધિક છે ? महावीर प्रसुनी त२-" गोयमा ! " मातम ! (सम्वत्थोवा जीवा, आहारग सरीरस्म सम्वबधगा, देसबधगा, संखेनगुणा, अबधगा अणतगुणा" શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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