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भगवती सूत्रे
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गौतम ! सप्त परीषदाः समवतरन्ति तद्यथा - " अरतिः, अचेल, स्त्री, नैषेधिकी, याचना च । आक्रोशः, सत्कारपुरस्कारौचरित्रमोहे सप्तैते " ॥ ५९ ॥ आन्तरायिके खलु भदन्त ! कर्मणि कति परीषदाः समवतरन्ति ? गौतम । एक: अलाभपरीपहः समवतरति । सप्तविधबन्धकस्य खलु भदन्त | कति परीषहाः प्रज्ञप्ताः ? गौतम ! द्वाविंशतिः परीषहाः प्रज्ञप्ताः, विंशतिः पुनर्वेदयति, यस्मिन् समये शीतपरीषदं वेदपरीका समावेश होता है। (चरितमोह णिज्जेणं भंते । कइ परीसहा समोयरंति ) हे भदन्त ! चारित्र मोहनीयकर्म में कितने परिषहों का समावेश होता हैं ? (गोयमा ) हे गौतम! (सत्त परीसहा समोयरंति ) चारित्र मोहनीयकर्म में सात परीषहोंका समावेश होता है। (तं जहा) जो इस प्रकार से हैं (अरती, अचेल, इत्थी, निसीहिया, जायणा य, अक्कोसे, सकारपुर कारे चरितमोहंमि सत्तेते ) अरति, अचेल, स्त्री, नैषिधिकी, याचना, आक्रोश और सत्कारपुरस्कार इस प्रकार ये सान परीषह हैं । ५९) ( अंतराइए णं भंते । कम्मे कइ परीसहा समोयरंति ) हे भदन्त ! अन्तरायकर्म में कितने परीषहों का समावेश होता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (एगे अलाभपरीस हे समोयरइ ) अन्तराय कर्म में एक अलाभ परीषह का समावेश होता है। (सत्तविहबंधगस्स णं भंते! कह परीसहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! सात प्रकार के कर्म का बंध करनेवाले जीव के कितने परीषह होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम! ( बावीसं परीपहा पण्णत्ता) सात प्रकार के कर्म का बंध करने वाले जीव के बाईस परी -
માં એક દર્શન પરીષહુના જ समावेश थाय छे. ( चरित्तमो इणिज्जेणं भंते ! कट्ट परीसहा समोर ति ? ) हे लहन्त ! यारित्र मोडनीय असमां डेटा परीहोना समावेश थाय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम ! ( सत्तपरी सहा समोयरति - तं जहा ) यारित्र मोहनीय उभां नीचे प्रमाये सात परीष डोना सभावेश थाय छे. ( अरती, अचेक, इत्थी, निसीहिया, जायणा य, अमोसे, सकार पुरकरे चरितमोह मि सत्ते ते ) अरति, अयेस, श्री, नैषेधिडी, यायना આક્રોશ અને સત્કારપુરસ્કાર, આ પ્રમાણે સાત પરીષહેને ચારિત્ર મેાહનીય अभी समावेश थाय छे. (अतराइएण भते ! कम्मे कइ परीसहा समोर ति ? ) हे लहन्त ! अंतराय उभां डेटा परीषडोना समावेश थाय छे ? ( गोयमा ! ) हे गौतम! (एगे अलाभपरीस हे समोयरइ ) अंतराय उभभांड परीषहना समावेश थाय छे. ( सत्तविह बंधगस्स णं भवे ! कइ परीसहा पण्णत्ता ? ) डे महन्त ! सात अारने अर्मनो बंध पुरनार अपने डेंटला परीषडे। सडन मुरवा पहे छे ? ( गोयमा ! ) डे गोतम ! बावीस परीसहा पण्णत्ता)
અલાભ
श्री भगवती सूत्र : ৩