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________________ प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.८. उ.६ मू.५ क्रियास्वरूपनिरूपणम् ७२३ भदन्त ! औदारिकशरीरेभ्यः कतिक्रियः ? गौतम ! स्यात् त्रिक्रियः, यावत् स्यात् अक्रिया, नैरयिकः खलु भदन्त ! औदारिकशरीरेभ्यः कति क्रियः ? क्रियावक्तव्यता'जीवे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ' इत्यादि। सूत्रार्थ :- ( जीवे णें भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ) हे भदन्त ! एक जीव परकीय औदारिक शरीरके आश्रयसे कितनी क्रियाओंवाला होता है ? (गोयमा ) हे गौतम ! (सिय लिकिरिए सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए, सिय अकिरिए) कभी वह तीन क्रियाओं वाला होता है, कभी वह चार क्रियाओंवाला होता है, कभी वह पांच क्रियाओंवाला होता है। और कभी वह अक्रिय क्रिया रहित होता है। (नेरइए णे भंते ! आरालियसरीराओ कइ किरिए) हे भदन्त ! एक नारक जीव परकीय औदारिक शरीरके आश्रयसे कितनी क्रियाओंवाला होता है ? (गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ) हे गोतम ! एक नारक जीव परकीय औदारिक शरीरके आश्रयसे कभी तीन क्रियाओंवाला होता है, कभी चार क्रियाओंवाला होता है और कभी पांच क्रियाओंवाला होता है। (असुरकुमारेणं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए ) हे भदन्त ! असुरकुमार देव परकीय औदाकि शरीके आभय से कितनी क्रियाओंवाला होता है ? ( एवंचेव, एवं जाव वेमाणिए-नवरं ठिया पातव्यता‘जीवे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइकिरिए' याlk सूत्राथ' :- (जीवे णं भंते ! आरालियसरीराओ कइकिरिए ? हे महन्त ! मे १ मौ२ि४ शरीरने माघारे ४०ी जियामावाजा होय छ ? (गोयमा !) है गौतम ! (सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए, सिय अकिरिए) કયારેક તે ત્રણ ક્રિયાઓવાળ હોય છે, કયારેક તે ચાર કિયાઓવાળો હોય છે, કયારેક a पाय जियामापामा जाप छ भने ४५२५ ते मयि-छिया हित डी . नेरइए णं भंते ! ओसालयसरीराओ कइकिरिए ) महत ! मे ना२४ ७१ ५२४१५ भौता२ि४ शरना माश्रयथा की यायावाणा होय छ ? (गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए) गीतम! मे. ना२४ ०१ ५२वीय દારિક શરીરને આધારે ક્યારેક ત્રણ ક્રિયાઓવાળા હોય છે, કયારેક ચાર हियावाणा होय छे भने या२४ पाय जियावाला डाय छे. (असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरीराओ कइ किरिए ? ) हे महन्त ! मे मसुरेशुभा२ ३५ ५२४१य मोहा२४ सशरना आश्रयथा यामावा लीय छ? (एवं चेव, एवं जाव श्री. भगवती सूत्र :
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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