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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. २ मू० ११ ज्ञानगोचरनिरूपणम् ४८७ पण्णते ? गोयमा ! से समासओ चउबिहे पण्णत्ते, तं जहादवओ, खेत्तओ; कालओ, भावओ, दबओ णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाइ दवाइं जाणइ, पासइ, एवं जाव भावओ गं विभंगनाणी विभंगनाण परिगए भावे जाणइ पासइ॥सू०११॥ छाया- आभिनिवोधिकज्ञानस्य खलु भदन्त ! कियान् विषयः प्रज्ञप्तः ! गौतम ! स समासतः चतुर्विधः प्रज्ञप्तः, तद्यथा - द्रव्यतः, क्षेत्रतः, कालतः, भावतः, द्रव्यतः खलु आभिनिवोधिकज्ञानी आदेशेन सर्वद्रव्याणि जानाति, पश्यति, क्षेत्रतः आभिनिबोधिकज्ञानी आदेशेन सर्वक्षेत्र जानाति, पश्यति, एवं कालतोऽपि, एवं भावतोऽपि । श्रुतज्ञानस्य खलु भदन्त ! कियान् विषयः ज्ञानगोचर वक्तव्यता'आभिणिबोडियनाणरस णं भंते! केवइए विसए' इत्यादि सूत्रार्थ- (आभिणियोहियनाणस्स णं भंते ! केवइए विसए पनने) हे भदन्त ! आभिनिबोधिकज्ञानका विषय कितना कहा गया है ? (गोयमा) हे गौतम ! (से समासओ चउव्विहे पत्ते) आभिनिबोधिक ज्ञानका विषय संक्षेपसे चार प्रकारका कहा गया है । (तंजहा) जैसे (दव्वओ, खेत्तआ, कालओ, भावओ) द्रव्यकी अपेक्षा, क्षेत्रकी अपेक्षा, कालकी अपेक्षा, भाव की अपेक्षा (व्वओणं आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्वव्वाइं जाणह पासइ, खेत्तओ आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्वखेत्तं जाणा, पासइ, एवं कालओ वि. एवं भावओ वि) જ્ઞાનગેચરની વકતવ્યતા-નિરૂપણ 'आभिणिबोहियनाणस्स णं भंते केवइए विसए' त्या. सूत्राथ' :-'आभिणिबोहियनाणस्स णं मंते केवइए:विसए पन्नत्ते भगवन्! भामिनिमाथि जानना विषय Bean या छ ? 'गोयमा 'गौतम ! 'से समासओ चउबिहे पण्णत्ते' त सक्षेपथा यार प्रारना छ. ' तं जहा' को 'दबओ, खेत्तओ, कालो, भावओ' दयनी अपेक्षा क्षेत्रनी अपेक्षाम्मे, आता अपेक्षा भने मानी अपेक्षा यार ४२ना 2. 'दबओ णं आभिनिबोहिय नाणी आएसे गं सम्बदवाई जाणइ पासइ खेत्तसो आभिणिबोहिय नाणी आएसे णं सबखेत्तं जाणइ पासइ, एवं कालो चि एवं भावओ वि' पनी अपेक्षा मालिनिमाधि: जानी सामान्य३५थी समस्त (Ami) श्री भगवती सूत्र:
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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