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भगवतीसुधे प्रज्ञप्ता, तद्यथा-बालवीर्यलब्धिः, पण्डितवीर्थलब्धिः, बालपण्डितवीर्यलब्धिः । इन्द्रियलब्धिः खलु भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! पश्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा-श्रोत्रेन्द्रियलब्धिः यावत् स्पर्शेन्द्रियलब्धिः। ज्ञानलब्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः ? गौतम ! ज्ञानिनः, नो अज्ञानिनः, सन्ति एकके द्विज्ञानिनः, एवं पञ्च ज्ञानानि भननया, तस्य अलब्धिकाः खलु प्रकारकी कही गई है ? (गोयमा) हे गौतम ! (तिविहा पणत्ता) वीर्य लब्धि तीन प्रकारकी कही गई है । (तं जहा) जैसे-(बालवीरियलद्धी, पंडियवोरियलद्धी, बालपंडियवीरियलद्धी) बालवीर्यलब्धि, पंडितवीर्यलब्धि,
और बालपण्डितवीर्य लब्धि । (इंदियलद्धी णं भंते ! कहविहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! इन्द्रियलब्धि कितने प्रकारकी कही गई है ? (गोयमा) हे गौतम! (पंचविहा पण्णत्ता) इन्द्रियलब्धि पांच प्रकारकी कही गई है ? (तं जहा) जैसे - ( सोइंदियलद्धी जाव फासिंदियलद्धी) श्रोत्रेन्द्रियलब्धि यावत् स्पर्शनेन्द्रियलन्धि । (नाणलद्धीया णं भंते ! जीवा किं नाणी अन्नाणी) हे भदन्त ! ज्ञानलब्धिवाले जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम! (नाणी णो अन्नाणी) ज्ञानलब्धिवाले जीव ज्ञानी ही होते हैं, अज्ञानी नहीं होते । ( अत्थे गइया दुन्नाणी, एवं पंचनागाइं भयणाए) इनमें कितनेक ज्ञानी जीव दो ज्ञानवाले होते हैं-इस तरह इनको भजना से पांच ज्ञान होते हैं।
मापन वाय' edu seel t२il 2ी छे. 'गोयमा' के गौतम ! 'तिविहा पण्णत्ता' विय सचित्र प्रा२नी डी 2. ' तं जहा' म 'बालचीरिय लद्धी, 'पंडियवीरियलद्धी, बालपंडियबीरिय लद्धी' मालवाय" सन्धि, पडितकीय alu भने ५तिवाय elu 'इंदियलद्धी णं भंते कइविहा पण्णता'
लगपन्! दय alwyा प्रा२नी छ ? 'गोयमा', गौतम ! पंचविहा पण्णत्ता' यि alvy पांय प्रानी छ. ' तंजहाभ 'सोइंदिय लद्धी जाच फसिदियलद्धी' श्रोत्रीय सन्धि-पायत-२५शेन्द्रिय सचि. 'नाणलद्धीयाणं भंते जीवा किं नाणी अन्नाणी' सपा ! ज्ञान alrean 4 शुशानी ५ छे
मज्ञानी ? 'गोयमा' गौतम ! 'नाणी नो अन्नाणी' ज्ञानसाnि १ ज्ञानी हाय छ मशानी नहीं 'अत्थेगइया दुनाणी एवं पंचनाणाई भयणाए' मा કેટલાક જ્ઞાની ઝવ બે જ્ઞાનવાળા હોય છે. એ રીતે કેટલાક ને ભજનાથી પાંચ જ્ઞાન
श्री. भगवती सूत्र :