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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ. २ मू० ६ लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ३९५ मिथ्यादर्शनलब्धिः । चारित्रलब्धिः खलु भदन्त' कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! पञ्चविधा प्रज्ञप्ता, तद्यथा - सामायिकचारित्रलब्धिः, छेदोपस्थापनीयचारित्रलब्धिः, परिहारविशुद्धिक चारित्रलब्धिः, सूक्ष्मसंपरायचारित्रलब्धिः, यथाख्यातचारित्रलब्धिः, चारित्राचारित्रलब्धिः खलु भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता । गौतम ! एकाकारा प्रज्ञप्ता, एवं यावत् उपभोगलब्धिः एकाकारा प्रज्ञप्ता, वीर्यलब्धिः खलु भदन्त ! कतिविधा प्रज्ञप्ता ? गौतम ! त्रिविधा दंमणलद्धी, सम्मामिच्छादसणलद्धी) सम्यक दर्शनलब्धि. मिथ्यादर्शनलब्धि, सम्यगमिथ्यादर्शनलब्धि. ( चरित्तलद्धी णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! चारित्रलब्धि कितने प्रकारकी कही गई है ? (गोयमा) हे गौतम ! (पंचविहा पण्णत्ता) चारित्रलब्धि पांच प्रकारकी कही गई है ( तं जहा-जैसे (सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवद्यावणिय चरित्तलद्धी, परिहारविसुद्ध चरित्तलद्धी, सुहमसंपरायचरित्तलद्धी, अहकवायचरित्तलद्धी) १ सामायिकचारित्रलब्धि, २ छेदोपस्थापनीयचारित्र लब्धि, ३ परिहारविशुद्धिकचारित्रलब्धि, ४ सूक्ष्मसंपरायचारित्रलब्धि, ५ और यथाख्यात चारित्रलब्धि. (चरित्ताचरित्तलद्धीणं भंते ! कइविहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! चारित्राचारित्रलब्धि कितने प्रकार की कही गई है ? (गोयमा) हे गौतम ! (एगागारा पण्णता ) चारित्राचारित्रलब्धि एक प्रकारकी कही गई है ? (एवं जाव उवभोगलटी एगागारा पण्णत्ता) इसी तरहसे यावत् उपभोगलब्धि एक प्रकारकी कही गई है। (वीरि यलद्धी णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता) हे भदन्त ! वीर्यलब्धि कितने सम्मामिच्छादसण लद्वी ' सभ्य - alru, मिथ्याशन भने सन्यभियान सन्धि चरित्तलद्धीणं भंते कइविहा पण्णत्ता'भगवन ! यात्रिय ale 2८॥ ४२नी छ ? ' गोयमा' गौतम ! 'पंचविहा पण्णना' त पाय ४२नी छ. ' तंजहा' म 'सामाइयचरित्तलद्धी' 'छेदोवठ्ठावणियचरित्त लद्धी, परिहारविसुद्धलद्धी मुहुमसंप रायचरित्तलद्धी अहक्खायचरित्तलद्धी,' सामायि ચારિત્ર્યલબ્ધિ ૧, છેદેપસ્થાપનિય ચારિત્ર્ય લબ્ધિ ૨, પરિહાર વિશુદ્ધિક ચારિત્ર્ય લબ્ધિ ૩, भने सूक्ष्भस ५२॥य यायिय ४, यथाज्यात यारित्र्य ०५ ५. चरित्ताचरित्तलद्धीणं भंते कइविहा पण्णता' 3 He-d! यारिया यात्रिय alu seal t२a ७. 'गोयमा' गौतम ! 'एगागारा पण्णत्ता' याशिव्यायारित्र्य साधने २नी छे. 'एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पण्णत्ता तवी शत-यावतअपलोग सन्धि पY 28 ती ४३॥ छ. 'वीरियलद्धीणं भंते कइविहा पणत्ता' श्री. भगवती सूत्र :
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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