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________________ | प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.२ सू. ६ लब्धिस्वरूपनिरूपणम् ३९३ एगणाणी-केवलनाणी, तस्स अलद्धिया णं पुच्छा ? गोयमा ! नाणी वि, अन्नाणी वि, केवलनाणवज्जाइं चत्तारि णाणाई, तिन्नि अण्णाणाई भयणाए. अन्नाणलद्धिया णं पुच्छा ? गोयमा ! नोनाणी, अन्नाणी तिन्नि अण्णाई भयणाए, तस्स अलद्धिया णं पुच्छा? गोयमा! नाणी, नो अन्नाणी, पंच नाणाई भयणाए, जहा-अन्नाणस्स लद्धिया, अलद्धिया य भणिया, एवं मइअन्नाणस्स, सुयअण्णाणस्स य लडिया, अलधिया य भाणियबा, विभंगनाणलद्धिया णं तिन्नि अन्नाणाई नियमा, तस्स अलद्धियाणं पंचनाणाइं भयणाए, दो अन्नाणाइ नियमा?' सू.॥६॥ ___ छाया- कतिविधा खलु भदन्त ! लब्धिः प्रज्ञप्ता ? गौतम ! दशविधा लब्धिः प्रज्ञप्ता, तद्यथा-ज्ञानलब्धिः १, दर्शनलब्धिः २, चारित्रलब्धिः ३, चारित्राचारित्रलब्धिः ४, दानलब्धिः ५, लाभलब्धिः ६, भोगलब्धिः ७, उपभोगलब्धिः ८, वीर्यलब्धिः ९, इन्द्रियलब्धिः १०, ज्ञानलब्धिः खलु भदन्त ! दशवें लन्धिद्वारमें लब्धिभेदकथन'कहविहा पं भंते ! लद्धी पण्णत्ता' इत्यादि । सूत्रार्थ-(कइविहा णं भंते ! लद्धी पण्णत्ता)हे भदन्त ! लब्धि कितने प्रकारकी कही गई है ! (गोयमा) हे गौतम ! (दसविहा लद्धी पण्णत्ता) लब्धि दशप्रकारकी कही गई है। (तनहा) जैसे(नाणलद्धी१, देसणलद्धीर, चरित्तलद्वी३, चरित्ताचरित्तलद्धी४, दाणलद्धी, लाभलद्धी६, भोगलद्धी७, उवभोगलद्धी८, वीरियलद्वी९, इंदियलद्धी१०) ज्ञानलब्धि१, दर्शनलब्धिर, चारित्रलब्धि३, चारित्राचारित्रवन्धि४, दानलब्धि५, लाभलब्धि६, भोग દશમાં લબ્ધિદ્વારમાં લબ્ધિના ભેદેનું કથન. कइविहाणं भंते ! लद्धी पण्णत्ता याह. सूत्राय :- काविहाणं भंते ! लद्धी पण्णत्ता' पान! alwal ५४५२ मी छ ? 'गोयमा गौतम ! दसविहा लद्धी पण्णत्ता' ever! Rrl xseी छ. 'तंह जहा' ते ॥ ४॥२ छे. 'नाणलद्धी १', 'दसणलद्धी २', 'चरितलद्धी ३', चरित्ताचरित्तलखी ४' 'दाणलद्धी ५' 'लाभ लदी ६' 'भोग लद्धी ७, “उवभोग लद्धी ८', 'वीरियलद्धी ९', श्री. भगवती सूत्र :
SR No.006320
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 06 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages823
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size46 MB
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