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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ मृ.२ पुद्गलभेदनिरूपणम् २७ पञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः पुद्गलाः कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा ! चउबिहा पण्णत्ता' हे गौतम ! पञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः चतुर्विधाः प्रज्ञप्ताः, तानेवाह- 'तं जहा' तद्यथा-'नेरइयपंचिंदियपओगपरिणया, तिरिक्ख० एवं मणुस्स०, देव पंचिंदिय' नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, तिर्यग्योनिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, मनुष्यपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः, देवपश्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताश्च । 'नेरइयपंचिदियपओगपरिणया णं पुच्छा ?' नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणतानां विषये पृच्छा ? तथाच-नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगपरिणताः भदन्त ! कतिविधाः प्रज्ञप्ताः ? इति प्रश्नः, भगवानाह-'गोयमा ! सत्तविहा पण्णत्ता' हे गौतम ! नैरयिकपञ्चेन्द्रियप्रयोगअनेक प्रकारता आइ है 'पंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा' हे भन्दत ! पंचेन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? इसके उत्तरमें प्रभु कहते हैं कि 'गोयमा' हे गौतम ! 'चउन्विहा पण्णत्ता' पंचेन्द्रियप्रयोगपरिणत पुद्गल चार प्रकारके कहे गये हैं। 'तं जहा' वे ये हैं 'नेरइय पंचिंदिय पओगपरिणया तिरिक्ख, एवं मणुस्स देवपंचिंदिय०' नैरपिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत, तियग्योनिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत, मनुष्य पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत और देवपंचेन्द्रिय भयोग परिणत पुद्गल, ____ अब गौतमस्वामी प्रभुसे ऐसा पूछते हैं ‘नेरइयपचिंदियपओग परिणयाणं पुच्छा' हे भदन्त ! नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल कितने प्रकारके कहे गये हैं ? उत्तरमें प्रभु कहते हैं 'गोयमा' हे गौतम ! नैरयिक पंचेन्द्रिय प्रयोग परिणत पुद्गल ‘सत्तविहा पण्णत्ता' सात प्रकारके कहे गये हैं। 'तंजहा। वे ये हैं ___गौतम स्वामीना प्रश्न- 'पंचिंदियपओगपरिणयाणं पुच्छा' 3 महन्त ! પંચેન્દ્રિય પ્રગપરિણત પુદગલ કેટલા પ્રકારના કહ્યા છે?
___ महापा२ प्रभुन। उत्तर- 'गोयमा ! 3 गौतम! 'चउबिहा पण्णत्ता' पंथन्द्रिय प्रयोगपरिणत पुस या२ ॥२ना या छे. 'तजहां ते या२ ॥२ नाये प्रभा छ- 'नेरइयपंचिंदियपओगपरिणया , तिरिक्ख०; एवं मणुम्स०, देवपंचिंदिय.' [१] २यि: पयन्द्रिय प्रयोगपरिणत, [२] तिय योनि: ५येन्द्रिय પ્રગપરિણત, [3] મનુષ્ય પંચેન્દ્રિય પ્રયોગપરિણત અને [૪] દેવ પંચેન્દ્રિય પ્રયોગપરિણત પુદગલ.
गौतम स्वाभाना - 'नेरइयप चिंदिय पओगपरिणयाणं पुच्छा' હે ભદન્ત ! નરયિક પંચેન્દ્રિય પ્રયોગપરિણત પુદગલના કેટલા પ્રકાર કહ્યા છે?
श्री. भगवती सूत्र :