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भगवतीमो यथा सकायिकाः । अभवसिद्धिकाः खलु पृच्छा? गौतम ! नो ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, त्रीणि अज्ञानानि भजनया, नीभवसिद्धिका नोअभसिद्धिकाः खलु भदन्त ! जीवाः किं ज्ञानिनः, अज्ञानिनः, यथा सिद्धाः, ७ ॥ संज्ञिनः खलु पृच्छा, यथा सेन्द्रियाः, असंज्ञिनो यथा द्वीन्द्रियाः,नोसंज्ञिनः नोअसंज्ञिनो यथा सिद्धाः ८.६। सिद्धिक जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (जहा सकाइया) हे गौतम! भवसिद्धिक जीवोंको सकायिक जीवोंकी तरह जानना चाहिये। (अभवसिद्धियाणं पुच्छा) हे भदन्त ! अभवसिद्धिक जीव क्या ज्ञानी होते हैं ? या अज्ञानी होते हैं (गोयमा) हे गौतम ! (णो णाणी अन्नाणी) अभवसिद्धिकजीव ज्ञानी नहीं होते हैं किन्तु अज्ञानी होते हैं । (तिन्नि अन्नाणाई भयणाए) उनमें तीन अज्ञान भजनासे होते हैं । (नोभवसिद्धिया नोअभवसिद्धियाणं भंते !जीवा किं नाणी,अन्नाणी) हे भदन्त ! जो नोभवसिद्धिक, नोअभवसिद्धिक जीव हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (जहा सिद्धा) हे गौतम ! नोभवसिद्धिक नो अभवसिद्धिक जीव सिद्धोंकी तरह होते हैं । (सन्नीणं पुच्छा) हे भदन्त! संज्ञी जीव क्या ज्ञानी होते हैं या अज्ञानी होते हैं ? (जहा सह दिया, असन्नी जहा बेइंदिया, नोसन्नी नोअसन्नी जहा सिद्धा ८) हे गौतम ! संज्ञी जीव सेन्द्रिय जीवकी तरह होते हैं असंज्ञी जीव बेइन्द्रिय जीवकी तरह होता है। नोसंज्ञी नोअसंज्ञी जीव सिद्धोंकी तरह होते हैं। नाणी अन्नाणी, भगवन् अवसिद्धि५ शु वानी हाय छ । जानी ? 'जहा सकाइया' गोतम भवसिद्धि ७वाना विषयमा सायि: जवानी भाई सभा. 'अभवसिद्धिगणं पुच्छा' में मान! ममपसिद्धि ७१ शु हानी हाय छ । अज्ञानी ? 'गोयमा' गौतम ! 'नो नाणी अन्नाणी' समपसिद्धि ०१ जानी नही ५Y PALAR डाय छे. तिन्नि अन्नाणाई भयणाए' मेमो मनाया नए अज्ञान य . 'नो भवमिद्धिथा ना अभवसिदियाणं भते जीवा किं नाणी अन्नाणी' मापन ! 2 नामवसिद्धि मने न मससिद्धि ७१ छ aशानी हाय छ । मनानी ? 'जहा सिद्धा' गौतम! नो पसिडि भने न। मससिटि सोना विषयमा सिधोनी भा४ सम४. 'सन्नीणं पुच्छा'
सावन ! सज्ञा १ ज्ञानी हाय ३ मतानी ? 'जहा सइंदिया असन्नी जहा बेइंदिया नो सन्नी नो असन्नी जहा सिद्धा' गौतम! सशी ०१ सेन्द्रिय જીવની માફક હોય છે. અસંજ્ઞી છવ બેઈન્દ્રિય જીની માફક હોય છે. ન સંસી ન અસંસી જીવ સિહોની માફક હોય છે.
श्री. भगवती सूत्र :