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प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ. २ सू.५ ज्ञानभेदनिरूपणम् ३३३ ये ज्ञानिनस्ते नियमात् विज्ञानिनः, तद्यथा-अभिनिवोधिकज्ञानिनश्च, श्रुतज्ञानिनश्च, ये अज्ञानिनस्ते नियमात् द्वयज्ञानिनः, तद्यथा-मत्यज्ञानिनश्च श्रुताज्ञानिनश्च, एवं त्रीन्द्रियाश्चतुरिन्द्रिया अपि । पञ्चेन्द्रियतिरंग्योनिकाः खलु पृच्छा ? गौतम ! ज्ञानिनोऽपि, अज्ञानिनाऽपि, ये ज्ञानिनस्ते अस्त्येकके द्विज्ञानिनः, अस्त्येकके त्रिज्ञानिनः, एवं त्रीणि ज्ञानानि त्रीणि अज्ञानानि भजनया । मनुष्या यथा जीवाः, तथैव, पञ्च ज्ञानानि, त्रीणि अज्ञानानि भजनया। वानव्यन्तरा बेन्द्रिय जीव ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं । (जे नाणी ते नियमा दुन्नाणी, तंजहा-आभिणिबोहियनाणी य, सुयनाणीय) जो बेन्द्रियजीव ज्ञानी होते हैं वे नियमसे दो ज्ञानवाले होते हैं एक आभिनिबोधिकज्ञानवाले और दूसरे श्रुतज्ञानवाले । (जे अन्नाणी ते नियमा दुअन्नाणी) जो बेन्द्रियजीव अज्ञानी होते हैं वे नियमसे दो अज्ञानवाले होते हैं (तंजहा) जैसे मइअनाणी, सुयअन्नाणी) आभिनिबोधिकअज्ञान, श्रुतअज्ञान ( एवं तेइंदियचउइंदिया वि) इसी तरहसे तेइन्द्रिय जीवों के विषयमें और चौइन्द्रिय जीवों के विषयमें भी ज्ञानी और अज्ञानीको लेकर कथन करलेना चाहिये । (पंचिंदियतिरिक्ख जोणियाणं पुच्छा ) हे भदन्त ! जो पंचेन्द्रियतिर्यच होते हैं वे क्या ज्ञानी होते हैं ? या अज्ञानी होते हैं ? (गोयमा) हे गौतम ! (नाणी वि अन्नाणी वि) पंचेन्द्रियतिर्यंच ज्ञानी भी होते हैं और अज्ञानी भी होते हैं (जे नाणी ते अत्थेगहयादुन्नाणी, अत्थेगइया तिन्नाणी) जो ज्ञानी होते हैं उनमें कितनेक पंचेन्द्रियतिथंच दो ज्ञातवाले होते हैं भने मनानी ५९५ हाय छे. 'जे नाणी ते नियमा दुन्नाणी तंजहा - आभिनिबोडियनाणी य, सुय नाणी यो मेन्द्रिय ७१ जानी राय छे त नियमथा બે જ્ઞાનવાળા હોય છે. એક આભિનિબધિક જ્ઞાનવાળા અને બીજા શ્રત જ્ઞાનવાળા. 'जे अन्नाणी ते नियमा दन्नाणी' मे द्रिय ७१ अज्ञानी डाय छ त नियमथा में मशानवासाय छे. तंजहा' म ' मइअन्नाणी, सुयअन्नाणी, भामिनिमाधि अज्ञान मने श्रुत अज्ञान एवं तेइंदिय - चउइंदिया वि' એ જ રીતે તે ઇન્દ્રિય જીના વિષયમાં અને ચઉઈન્દ્રિય જીવના વિષયમાં પણ જ્ઞાની भने मानाने उद्देशाने सभ७० से. 'पचिंदियतिरिक्खजोणिया णं पुच्छा' હે ભગવન! જે પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ હોય છે તે શું જ્ઞાની હોય છે કે અજ્ઞાની ? 'गोयमा' हे गौतम 'नाणी वि अन्नाणी वि' पयन्द्रिय तिय"य जानी भने अज्ञानी पण डाय छे. 'जे नाणी ते अत्थेगइया दुन्नाणी अत्थेगइया तिन्नाणी' જે જ્ઞાની હોય છે તે પૈકી કેટલાક પંચેન્દ્રિય તિર્યંચ બે જ્ઞાનવાળા હોય છે અને
श्री. भगवती सूत्र :