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पमेयचन्द्रिका टीका श.८ उ.१ मृ. १३ सूक्ष्मपृथ्वीकायस्वरूपनिरूपणम् १३९ गमीसासरीरकायप्पओगपरिणए, कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए ? गोयमा ! ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा,जाव कम्मासरीरकायप्पओगपरिणए वा। जइ ओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं एगिदियओरालियसरीरकाय पओगपरिणए, एवं जाव पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए वा, बेइंदिय-जाव-परिणए वा, जाव पंचिंदिय जाव परिणए वा। जइ एगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिदियजाव परिणए जाव वणस्सइकाइयएगिदियओरालियसरीरकायप्पओगपरिणए ? गोयमा ! पुढविक्काइयएगिदियपओगजाव परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय जाव परिणए वा । जइ पुढवि काइयएगिदियओरालियसरीर जाव परिणए कि सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए, बादरपुढविक्काइयएगिदिय-जाव परिणए ? गोयमा ! सुहमपुढविक्काइयएगिदिय-जाव-परिणए वा, बायरपुढविक्काइयजावपरिणए वा । जइ सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए किं पज्जत्तसुहुमपुढवि-जाव परिणए, अपजत्तसुहुमपुढवि-जाव–परिणए ? गोयमा ! पजत्तसुहुमपुढविक्काइय-जाव परिणए वा, अपज्जत्तसुहुमपुढविक्काइय-जाव परिणए वा, एवं वायरे वि, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कओ भेदो। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिंदियाणं दुयओ भेओ पजत्तगा य, अपजत्तगा य, जइ पंचिंदियओरालियसरीरकायप्पओगपरि
श्री. भगवती सूत्र :