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भगवती सूत्रे
पातविरमाणा दिसर्व परिग्रहविरमणान्तपञ्चमहावतरूपं विज्ञेयम्, देशमूलगुणप्रत्याख्यानं च तच्च वक्ष्यमाणस्थूलप्राणातिपातविरमणादिस्थूलपरिग्रहविरमणान्तं पञ्चाणुत्रतरूपं बोध्यम्, तत्र साधूनां सर्वमूलगुणप्रत्याख्यानं, श्रावकाणां तु देश मूलगुणप्रत्याख्यानमवसेयम् । गौतमः पृच्छति - 'सन्त्रमूलगुण पच्चक्खाणे णं भंते ! कइविहे पण्णत्ते ?' हे भदन्त ! सर्व मूलगुणप्रत्याख्यानं महात्रतं खलु कतिविधं प्रज्ञप्तम् ? भगवानाह - 'गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते' हे गौतम ! सर्व मूलगुण प्रत्याख्यानं पञ्चविधं प्रज्ञप्तम्, 'तं जहा ' तद्यथा - 'सच्चाओ पाणागुणप्रत्याख्यान और दूसरा देश मूलगुणप्रत्याख्यान सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान में सर्व प्रकार से सर्व प्राणातिपातका यावत् सर्वपरिग्रहका त्याग हो जाता है सो यह पांच महाव्रतरूप कहा गया है । देसमूलगुण पच्चक्खाणेय' एक सर्व मूलगुणप्रत्याख्यान और दूसरा देश मूलगुणप्रत्याख्यान में सर्व प्रकार से सर्व प्राणातिपात का यावत् सर्वपरिग्रह का त्याग हो जाता है- सो यह पांच महाव्रतरूप कहा गया है । देशमूलगुण प्रत्याख्यान में स्थूल प्राणातिपात आदि का त्याग होता है सो यह पाँच अणुव्रत रूप कहा गया है । साधुओं के सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान होता है और श्रावकों के देशमूलगुणप्रत्याख्यान होता है । गौतमस्वामी अब प्रभु से इसी बात को पूछते हैं कि'सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कहविहे पण्णत्ते' हे भदन्त ! महाव्रतरूप सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान कितने प्रकार का कहा गया है ? इसके उत्तर में प्रभु उनसे कहते हैं- 'गोयमा' हे गौतम! 'पंचविहे पण्णत्ते' महाव्रतरूप सर्वमूलगुणप्रत्याख्यान पांच प्रकार का कहा गया है- 'तं देसमूलगुणपच्चक्खाणे य' (१) सर्व भूतगुणु अत्याध्यान, अने (२) देशभूलगुष्ट પ્રત્યાખ્યાન. સર્વ પ્રકારના પ્રાણાતિપાતના ત્યાગ. આદિ રૂપ જે પાં; મહાત્રા છે, તેમને સર્વમૂળગુણ પ્રત્યાખ્યાનરૂપ માનવામાં આવે છે. દેશભૂલગુણ પ્રત્યાખ્યાનમાં સ્કૂલ પ્રાણાતિપાત વિરમણુ આદિ પાંચ અણુવ્રતને ગણવામાં આવે છે. સાધુઓ દ્વારા સ મૂલગુણુ પ્રત્યાખ્યાન થાય છે અને શ્રાવકૈા દ્વારા દેશભૂલગુણ પ્રત્યાખ્યાન થાય છે. એટલે કે સાધુને માટે પાંચ મહાવ્રતા અને શ્રાવકા માટે પાંચ અણુવ્રતાનું પાલન આવશ્યક
भागाम छे.
गौतम स्वामीनो अन- 'सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे णं भते ! कइ विहे पण्णत्ते ?' हे अहन्त ! महाव्रतस्य सर्वभूसगुष्णु प्रत्याभ्यानना डेटा प्रकार बाछे ? उत्तर- 'गोयमा !' हे गौतम 'पंचविहे पण्णत्ते' महाव्रतक्ष्य सर्वभूतशुश्रूषु प्रत्याख्यानना चांथ प्रहार अाहे. 'तंजहा' ते अाश मा प्रभाछे
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : પ