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________________ - प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ७ उ.१ ५.३ श्रमणोपासकक्रियास्वरूपनिरूपणम् २६१ केवली' उत्पन्नज्ञान-दर्शनधरः अर्हन् जिनः केवली 'जीवे वि जाणइ, पासई' जीवानपि जानाति पश्यति 'अजीवेऽवि जाणइ, पासइ, अजीवानपि जानाति पश्यति, 'तओ पच्छा सिज्झइ जाव अंतं करेइ' ततः पश्चात् तदनन्तरं सिद्धयति यावत्-अन्तं करोति, यावत्करणात् 'बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं' बुध्यते, मुच्यते, परिनिर्वाति सर्वदुःखानाम्' इति संग्राहथम् ॥ मू० २ ॥ श्रमणोपासकवक्तव्यता । मूलम्--समणोवासयस्स गंभंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स, तस्स णं भंते! किं इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! णो इरियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ! से केणटेणं जावहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ, पासइ, अजीवे वि जाणइ पासइ ती पच्छा सिज्झइ, जाव अंत करेइ' एसे शाश्वत लोक में कि जो नीचे के भागमें विस्तीर्ण है यावत ऊपर के भागमें जो उर्ध्वमुखवाले मृदंग के जैसा है उत्पन्न हुए ज्ञान दर्शनको धारण करनेवाला अहंत जिन केवली भगवान् जीवपदार्थ को भी जानते देखते है, अजीवपदार्थ को भी जानते देखते हैं। इस के बाद शेष अघातिया कर्मो को नष्ट कर फिर वे सिद्ध हो जाते हैं यावत् अन्तकर्ता बन जाते हैं। यहां 'यावत' पद से "बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं' इन पदोंका संग्रह हुआ है। इनका भी अर्थ पीछे लिखा जा चुका है ॥ सू० २॥ दसणधारे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ पासइ, अजीवे वि जाणइ पासइ' નીચેના ભાગમાં વિસ્તીર્ણ, વચ્ચેથી સંકીર્ણ અને ઉપરથી ઉર્ધ્વમુખે મૂકેલા મૃદંગના જેવા આકારવાળા આ શાશ્વતકમાં ઉત્પન્ન થયેલા જ્ઞાન (કેવળજ્ઞાન) અને દર્શનને ધારણ કરનારા અહંત જિન કેવલી ભગવાન જીવપદાર્થને પણ જાણે છે અને દેખે છે, तथा म हायने ५ गये छे मन से छे. 'तओ पच्छा सिज्झइ, जाव अंतं करेड' त्या२ माह माडीन अधातियां नि। नाश ४ीने तेमा सिद्ध 25 142, બુદ્ધ થઈ જાય છે, મુક્ત થઈ જાય છે, સમસ્ત કમેને આત્યંતિક ક્ષય કરીને તેઓ સમસ્ત દુઃખોના અંતકર્તા થઈ જાય છે. છે . ૨ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫
SR No.006319
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages866
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size47 MB
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