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अनुकम अंक
पृष्ठांड ४१ मूलस्कंधादि जीवका निरूपण
४३२-४३८ ४२ आलुकादि अनन्तकाय वनस्पतिका निरूपण
४३९-४४० ४३ कृष्णलेश्यावाले जीवोंकी अल्पकर्मत्व महाकर्मत्वका निरूपण ४४१-४५४ ४४ वेदना निर्जराके स्वरूप निरूपण
४५५-४८६ चौथा उद्देश ४५ चौथे उद्देशेका संक्षिप्त विषयविवरण
४८७ ४६ संज्ञी जीवोंके स्वरूपका निरूपण
४८८-४९८ पांचवां उद्देश ४७ तिर्यञ्चों के योनिसंग्रह का निरूपण
४९९-५०६ छटा उद्देश ४८ छटे उद्देशे का संक्षिप्त विषयविवरण
५०७-५०८ ४९ नैरयिकों के आयुर्वन्धादि का निरूपण
५०९-५२८ ५० कर्कश वेदनीय कर्म आदिके स्वरूपका निरूपण ५२९-५४२ ५१ भावि भारतवर्षके अवस्थाके स्वरूपका निरूपण ५४३-६५६ ५२ भावि भरतक्षेत्रीय मनुष्यावस्थाके निरूपण
५५७-५८१ सातवां उद्देश ५३ सातवें उद्देशक का संक्षिप्त विषय विवरण ५४ ऐर्यापथिक-सांपरायिक क्रियाके स्वरूपका निरूपण ५८३-५८९ ५५ कामभोगके स्वरूपका निरूपण
५९०-६११ ५६ छद्मस्थादि मनुष्यके स्वरूपका निरूपण
६१२-६२१ ५७ असंज्ञी जीवादि के स्वरूपका निरूपण
६२२-६३० ५८ संज्ञी जीवके वेदनके स्वरूपका निरूपण
६३१-६३७ ___आठवां उद्देश ५९ छद्मस्थ मनुष्यादिके स्वरूपका निरूपण
६३८-६४९ ६. नरयिकादि जीवोंके पापकर्मका निरूपण
६५०-६५१ ६१ संज्ञाके स्वरूपका निरूपण
६५२-६५७
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫