________________
५७०
भगवतीस्ने हेतुम् अभिसमागच्छति, हेतुं उमस्थमरणं म्रियते । पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाहेतुना जानाति, यावत-हेतुना छद्मरथमरणं म्रियते । पञ्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तघया-हेतुं न जानाति, यावत्-अज्ञानमरणं म्रियते पश्च हेतवः प्रज्ञप्ताः, तद्यथाहेतुना न जानाति, यावत्-हेतुना अज्ञानमरणं म्रियते। पञ्च अहेतवः प्रज्ञताः, इस प्रकार से हैं ( हेडं जाणइ ) एक हेतु वह है जो हेतु को जानता है दूसरा हेतु वह है जो ( हेउं पासइ ) हेतु को देखता है। तीसरा हेतु वह है जो (हेउं बुज्झइ ) हेतु के ऊपर अच्छी तरह से श्रद्धा करता है । चौथा हेतु वह है, जो ( हेउं अभिसमागच्छइ ) हेतु को अच्छी तरह प्राप्त करता है। पांचवा हेतु वह है, जो (हेउंछउमस्थमरणं मरइ) हेतु वाले हमस्थमरण को करता है । ( पंच हेऊ पन्नत्ता ) पांच हेतु कहे गये हैं। (तं जहा) वे इस प्रकार से हैं-( हेजणा जाणइ ) जो हेतु के द्वारा जानता है एक वह हेतु है, ( जाव हेउणा छउमस्थमरणं मरइ) यावत् जो हेतु द्वारा उमस्थ मरण करता है वह पांचवा हेतु है।
(पंचहेउ पण्णत्ता) पांच हेतु कहे गये हैं (तं जहा) वे इस प्रकारसे हैं (हउँ ण जाणइ ) जो हेतु को नहीं जानता है । ( जाव अन्नाणं मरणं मरह) यावत् अज्ञानमरण करता है। (पंच हेऊ पण्णत्ता) पांच हेतु कहे गये हैं ( तं जहा ) वे इस प्रकार से हैं-( हेउणा णं जाणइ ) जो प्रभा छ-(हेउ जाणइ) मे उतु मेटले तुमा वर्तमान पु२५ मे छे
२ हेतुने गए छ. जाने हेतु मे छे , 2 ( हेउ पासइ) हेतुने हे छ. श्री तु मे छ रे (हेउ बुज्झइ) हेतु ७५२ सारी शेते श्रद्धा थे छ. या तु मे छ ? (हेउ अभिसमागच्छइ) हेतुनी सारी ते प्राप्ति हुरे छे. पायम तुस छ २ (हेउ छउमत्थमरणं मरइ) हेतुयुत प्रस्थ મરણને પ્રાપ્ત કરે છે.
(पच हेऊ पण्णता ) हेतु पांय ४ा छ ( तजहा ) ते ॥ प्रभाव छ-( हेउणा जाणइ ) “ मे तु ( Aथा उतुमा भान पुरुष) मे छे २ हेतु द्वारा and छ,” (जाव हेउणा उउमत्थमरण मरइ) ત્યાંથી શરૂ કરીને “જે હેતુ દ્વારા છદ્મસ્થ મરણને પ્રાપ્ત કરે છે તે પાંચમ हेतु छ,” त्यां सुधानुं समरत ४थन अड ४२९. (पंच हेऊ पण्णत्ता) हेतु पांय ४ह्य छे. ( तंजहा) त नीय प्रमाणे छे-(हेउ ण जाणइ ) "२ तुने
श्री. भगवती सूत्र :४