________________
प्रमेयचन्द्रिका टीका श०५ उ०७ सू०७ नैरयिकादीनां सारंभानारंमादिनि ५४५ से तेणट्रेणं तं चेव । असुरकुमारा णं भंते ! किं सारंभा पुच्छा? गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा, सपरिग्गहा, णो अणारंभा, णो अपरिग्गहा । से केणट्रेणं ? गोयमा! असुरकुमाराणं पुढवीकार्य समारंभंति, जाव-तसकायं समारंभंति,सरोरा परिग्गहियाभवंति, देवा देवीओ, मणुस्सा मणुस्सीओ,तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओपरिग्गहियाभवंति,आसणसयण-भंडाऽमत्तोवगरणापरिगहिया भवंति,सच्चित्ता-ऽचित्त-मीसियाई दवाइं परिग्गहियाई भवंति, सेतेणट्रेणं तहेव । एवं जाव-थणियकुमारा । एगिदिया जहा नेरइया । वेइंदिया णं भंते ! किं सारंभा, सपरिग्गहा ?तं चेव जाव-सरीरापरिग्गहिया भवंति, बाहिरिया भंडमनोवगरणा परिग्गहिया भवंति। सचित्ता-चित्त जावभवंति । एवं जाव-चउरिदि. या। पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते !? तं चैव जाव-कम्मा परिग्गहिया भवंति, टंका, कूडा,सेला, सिहरी, पब्भारा,परिग्गहिया भवंति,जल-थल-बिल-गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति,उज्झर-निज्झ रचिल्लल्ल-पल्लल-वप्पिणा परिग्गहिया भवंति, अगड-तडाग-दहनईओ, वावी-पुक्खरिणी, दीहिया, गुंजालिया, सरा, सरपंतियाओ, सरसरपंतियाओ, बिलपंतियाओ परिग्गहियाओ भवंति, आरामु-ज्जाणा, काणणा, वणा, वणसंडा, वणराईओ, परिग्गहियाओ भवंति, देवउलाऽऽसम-पवा-थूभ-खाइय-परिखाओ परिग्गहियाओ भवंति, पागार अट्टालग-चरिय-दार-गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाय-घर-सरण-लेण-आवणा परिग्गहिया
भ०६९
श्री भगवती सूत्र : ४