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प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३ उ.७५.५ वैश्रमणनामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८४१ वैश्रमणस्य महाराजस्य इमे वक्ष्यमाणा देवा 'आणा-उववाय-वयण-निदेसे' आज्ञा-उपपात-वचन-निर्देशे 'चिटुंति' तिष्ठन्ति, तानेवाह-'तंजहा'-तद्यथा 'वेसमगकाइआइवा' वैश्रमणकायिका इति वा, वैश्रमणस्य परिवारभूता इवा इत्यर्थः, 'वेसमणदेवयकाइआइवा' वैश्रमणदैवतकायिकाइति वा, वैश्रमणस्य सामानिकदेव परिवारभूता इत्यर्थः, 'सुवण्णकुमारा' सुवर्णकुमाराः, 'सुवण्णकुमारीओ' सुवर्णकुमार्यः, 'दीवकुमारा' द्वीपकुमाराः 'दीवकुमारीओ' द्वीपकुमार्यः, 'दिसाकुमारा' दिककुमाराः 'दिसाकुमारीओ' दिककुमार्यः, 'वाणमैतरा' वानव्यन्तराः 'वाणमंतरीओ' वानव्यन्तयः, 'जे यावण्णे तहप्पगारा' ये चाप्यन्ये तथा प्रकाराः 'सव्वे ते तब्भतिआ' सर्वे ते तद्भक्तिकाः, 'इमे' ये वक्ष्यमाण आगे कहे जाने वाले देव 'आणा-उवाय-वयण निद्देसे' उसकी आज्ञा में उपपात में-सेवा में. वचनमें और निर्देश (ये काम करो) पालन करने में कटिबद्ध रहते है । 'तं जहा' वे देव कौन से है ? तो इसका उत्तर देते हुए प्रभु कहते हैं कि वे देव ये है -- वेसमणकाइयाइ वा' वैश्रमणकायिक-ये देव वैश्रमण के परिवार भूत देव है, 'वेसमण देवयकाइयाइवा' वैश्रमणदेवकायिक देव ये देव वैश्रमण के सामानिक देवों के परिवारभूत देव होते हैं 'सुवण्णकुमारा' सुवर्णकुमार' 'सुवण्णकुमारीओ' सुव. णकुमारिकाएँ 'दीवकुमारा' द्वीपकुमार 'दीवकुमारोओ' द्वीपकुमारियां 'दिसाकुमारा' 'दिक्कुमार' दिसाकुमारीओ दिक्कुमारियां 'वाणमंतरा' वानव्यन्तर, वाणमंतरीओ, वानव्यन्तरियां ये तथा 'जे यावण्णे' जो
और भी दूसरे 'तहप्पगारा' इसी प्रकार के देव हैं 'ते सव्वे' वे वैश्रमाय महारानी 'आणा उववाय- वयण- निदेसे-तंजहा-' Asl, सेवा, વચન, અને નિર્દેશને પાળવાને કટિબદ્ધ રહેતા દેવનાં નામ નીચે પ્રમાણે છે– 'वेसमणकाइया वा, वैश्रमाथि हेवो,- तेमा वैश्रमान परिवा२३५ हे। गाय छे, 'बेसमणदेवकाइया वा' वैश्रमय- हेवहायि: हेव।- ते ३श्रभाना सामानित होना परिवा२३५ वो छ, 'सुवण्णकुमारा' सुवर्ण मारो, 'सुवष्णकुमारीओ' सुभाशमी, 'दीवकुमारा' दीपभा, 'दीवकुमारीओ' द्वीप भारीमा, 'दिसाकुमारा' भारी, 'दिसाकुमारीओ भारीमा, 'बाणमंतरा' पान०यत।, 'बाणमंतरीओ' पानव्यविमा, तथा 'जे यावष्णे तहप्पगारा' ते ४२an wlon urg यो छ 'ते सव्वे तेथे। सपा 'तम्भत्तिया' वैश्रमा प्रत्ये
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩