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________________ प्रमेयचन्द्रिका टीका श.३३.७सू.५ वैश्रमणनामकलोकपालस्वरूपनिरूपणम् ८३५ ताम्राऽऽकरा इति वा, सीसकाऽऽकरा इति वा हिरण्याऽऽकरा इति वा, मुवर्णाऽऽकरा इति वा, रत्नाकरा इति वा, वज्राऽऽकरा इति वा, वसुधारा इति वा, हिरण्यवर्षा इति वा, सुवर्णवर्षा इति वा, रत्नवर्षा इति वा, वज्रवर्षा इति वा, आभरणवर्षा इति वा, पत्रवर्षा इति वा, पुष्पवर्षा इति वा, फलवर्षा इति वा, बीजवर्षा इति वा, माल्यवर्षा इति वा, वर्णवर्षा इति वा, चूर्णवर्षा इति वा, गन्धवर्षा इति वा, वस्त्रवर्षा इति वा, हिरण्यवृष्टिः इति वा, सुवर्णदृष्टिः इति वा, रत्नदृष्टिः इति वा, वज्रवृष्टिः इति वा, आभरणदृष्टिः इति वा, पत्रवृष्टिः इति वा, पुष्पवृष्टिः इति वा, फल वृष्टिः इति वा, बीज पदार्थ उत्पन्न होते हैं (तं जहा) जैसे कि(अयागराइ वा, तउयागराइ वा, तंबागरा इ वा, एवं सीसागराइ वा, हिरण्णागराइ वा, सुवण्णागरा इ वा) लोहे की खान, रांगको खान, तांबेकी खान, हिरण्यको खान, सुवर्णकी खान, (रयणागरा इ वा, कइरागरा इ वा, वसुहाराइ बा, हिरण वासाइ वा, सुवण्णवासाइ वा, रयणवासाइ वा, वइरवासाइ वा) रत्नकी खान, वज्रको खान, वसुधारा, हिरण्यको (माने चांदी) वर्षा, सुवर्णकीवर्षा, रत्नकीवर्षा, वज्रकी वर्षा, (आभरणवासाइ वा) आभरणकी वर्षा, (पत्तवासाइ वा, पुष्फवासा वा, फलवासाइ वा, बीयवासा वा) पत्रों की वर्षा, पुष्पोंकी वर्षा, फलोंकी वर्षा, बीजोको वर्षा, (मल्लवासाइ वा वणवासाइ वा, चुण्णवासाइ वा, गंधवासाइ वा, वत्थवासाइ वा, हिरण्णबुट्टीइ वा, सुवण्णवुडीह वा, रयणवुटीइ वा, वहरबुट्टीइ वा, आभरणबुट्टीइ वा, पत्तबुट्टीइ वा, पुप्फवुट्टीइ वा) माल्यकी वर्षा, वर्णकी वर्षा, चूर्णकी २रे विशिष्ट पार्था उत्पन्न थाय छ, (तंजहा) त पहाना नाम नीय प्रमाणे - (अयागराइ वा) वोढानी माये।, (तउयागराइ वा) anी माले, (तंबागराइ वा) dinानी माये।, (एवं सीसागराइ वा) सीसानी माये।, (हिरण्णागराइवा) यदीना माणु।, (सुवण्णागराइ वा) सोनानी माये।, (रयणागराइ वा, कइरागराइ वा, वसुहाराइ वा, हिरण्णवासाइ वा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासाइ वा, वहरवासाइवा) रत्नानी माय!, op. (हीरानी) पाये।, वसुधा, यांनी वर्षा, रत्नानी वर्षा, पनी वर्षा, (आभरणवासाइ वा) माभूषानी वर्षा, (पत्तवासाइ वा पुप्फवासाइ वा) पाननी वर्षा, पानी वर्षा, (फलवासाइ वा) जानी [, (बीयवासाइ वा) मालनी वर्षा, (मल्लवासाइ वा, वण्णवासाइ वा, चुण्णवासाइ वा) भामामानी वर्षा, गनी वर्षा, यूथ नी वर्षा, गंधवासाइ वा, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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