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भगवती सूत्रे
देवराजस्य, ऊर्ध्वम् उत्पनकालः, अवपतनकाल: संख्येयगुणः, चमरस्यापि यथा शक्रस्य नवरम् - सर्वस्तोकः अवपतनकालः, उत्पतनकाल : संख्येयगुणः, वज्रस्य पृच्छा, गौतम | सर्वस्तोकः उत्पतनकालः, अवपतनकालो विशेषाधिकः, एत
तुल्य है अथवा कौन किससे विशेषाधिक है। (गोयमा) हे गौतम! (सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उड्डू उप्पयणकाले ) देवेन्द्र देवराज शक्रको उर्ध्व में जाने का काल सब से थोडा है और इस उत्पतन काल की अपेक्षा 'उवयणकाले संखेज्जगुणे) नीचे जाने का काल संख्यातगुणा है ( चमरस्स वि जहा सक्क्स्स नवरं सव्वत्थोवे उवयणकाले, उप्पयणकाले संखेज्जगुणे) चमर के विषय में भी शक की तरह से ही जानना चाहिये-विशेपता यह है कि यहां पर अवपतनकाल- नीचे जानेका समय सबसे कम है और इसकी अपेक्षा उत्पतनकाल - ऊपर जानेका समय संख्यातगुणा है । ( वजस्स पुच्छा) अब गौतम स्वामी वज्रके ऊपर नीचे जाने के काल के विषय में प्रभु से प्रश्न करते हैं-वे पूछते हैं कि हे भदन्त ! वज्र का ऊपर जानेका काल और नीचे जाने का काल इनमें कौन काल किससे अल्प है, कौन काल किससे बहुत है, कौन किससे तुल्य है, अथवा कौन किससे विशेषाधिक है ? (गोयमा) हे गौतम ! (सव्वत्थोवे उवयणकाले, उप्पयणकाले, विसेसाहिए) सबसे कम काल वज्रका ऊँचे जानेका है और नीचे जाने का काल विशे
उड्ड उप्पयणकाले) हेवेन्द्र देवरान शत्रुनो अर्ध्वगमन आज सौथी मोछोछे, अने अध्वगमन आज ४२तां (उवयणकाले संखेज्जगुणे) अद्योगभन आज संध्यात गये। छे ( चमरस्स वि जहा सक्क्स्स नवरं सव्वत्थोवे उचयणकाले, उपयणकाले संखेज्जगुणे) मरना विषयभां पशु शडेनी तेम ४ समन्वु या विशेषता भेटी છે કે ચમરના અદ્યોગમન ઢાળ સૌથી આછે છે અને ઉર્ધ્વગમનકાળ અધોગમન કાળ ४२तां स ंज्यात गये। छे ( वज्जस्स पुच्छा) हवे गौतम स्वामी वकना भन અને અધોગમન કાળ વિષે નીચે પ્રમાણે પ્રશ્ન પૂછે છે હે ભદન્ત ! વજ્રના ઉર્ધ્વગમન કાળ અને અધોગમન કાળની તુલના કરવામાં આવે તે એમાંથી કયા કાના કરતાં અલ્પ છે, કચે। કોના કરતાં અધિક છે, કયા કાના ખરાખર છે અને કયા કાના કરતાં विशेषाधि४ छे! (गोयमा !) हे गौतम! (सव्वत्थावे उप्पयणकाले उवयणकाले विसेसाहिए) वावगमन आज सौथी माछो छे भने अधोगमन -
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩