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________________ प्रमेयचन्द्रिका टी. श. ३ उ. २ सू. ७ चमरेन्द्रस्योत्पातक्रियानिरूपणम् ४१३ त्रिवारम् इन्द्रकीलम् आकुट्टयति, एवम्-अवादीत्-कुत्रभोः ! शको देवेन्द्रः, देवराजः ? कुत्र ताश्चतुरशीतिसामानिकसाहरूयः ? यावत्-कुत्र ताश्चतस्रः चतुरशीतयः आत्मरक्षकदेवसाहस्यः ? कुत्र ताः अनेकाः अप्सरः कोटयः ? अद्य हन्मि, अद्य व्यथयामि, अद्य मम अवशाः अप्सरसो वशमुपनमन्तु ? इति कृत्वा ताम् अनिष्टाम् , अकान्ताम् , अप्रियाम् , अशुभाम् अमनोज्ञाम् , अमनामाम् , परुषाम् , गिरं निःसृजति ॥ सू० ७ ॥ वेड्याए करेइ) वहां पहुंच कर उसने अपना एक पैर पद्मवरवेदिका के ऊपर रखा (एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ) और दूसरा पैर सुधर्मासभा में रखा । (फलिहरयणेणं महया महया सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं आउडेए) बादमें उसने, जोररसे शब्दोच्चारण करते हए तीन बार इंद्रकील को उस परिघरत्न से कूटा (एवं वयासी) फिर वह इस प्रकारसे कहने लगा (कहिणं भो सक्के देविंदे देवराया) अरे । वह देवेन्द्र देवराज शक कहां पर है। (कहिं णं ताओ चउरासीइसामाणियसाहस्सीओ) कहां पर उसके ८४ चौरासी हजार सामानिक देव है ? (जाव कहिं णं ताओ चत्तारि चउरासीईओ आयरक्ख देवसाहस्सीओ) यावत् कहां बे चार चौरासी हजार (३३६००० तीनलाख छत्तीस हजार) उसके अंगरक्षक देव है (कहि णं ताओ अणेगाओ अच्छराकोडीओ) तथा कहां वे उसकी करोडों अप्सराएँ हैं (अज हणामि, अज वहेमि, अज्ज ममंअवसाओ अच्छराओ वसमुवणमंतु) मैं आज उन सबका उवागच्छ३) त्या ४४ पडयो. (एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ ) त्यांने तेणे तेनो मे ५॥ ५१२ । ५२ भूया. (एगं पायं सभाए मुहम्माए करेइ) भी ५॥ सुधा सा ५२ भूयो (फलिहरयणेणं महया महया सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं आउडेए) त्या२ मा मोटेची भूम म पाडीने तेथे तेना परिधनरत्नथी छन्द्रla ५२ ३ मत ३८४! भार्या भने (एवं वयासी) मा प्रमाणे ध्यु-(कहिणं भो सक्के देविदे देवराया) भरे ? मे देवेन्द्र १२०४ A ज्यां छ? ( कहिणं भो सक्के देविंदे देवराया) भरे! ते हेवेन्द्र देवरा As ४यां छ (कहिणं ताओ चउरासीइ सामाणिय साहस्सीओ) तेना ८४००० सामान है। ध्या छ ? (जाव कहिं णं ताओ चत्तारि चउरासीईओ आयरक्खदेवसाहस्सीओ तेना 33६००० (थार यार्यासी ॥२) माभ२क्ष हो या छ ? (कहिणं ताओ अणेगाओ अच्छराकोडीओ) तेनी 31 मसरामे। ४यां छ? (अज्ज हणामि, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩
SR No.006317
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 03 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages933
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size52 MB
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