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प्रमेयचन्द्रिकाटीका श.३ उ.२ सू०६ चमरेन्द्रस्योत्पातक्रियानिरूपणम् ४०१ राया' असुरराजः 'तेसिं' तेषां पुर्वोक्तानाम् 'सामाणियपरिसोववनगाणं' सामानिकपर्षदुपपन्नकानाम् सामानिकदेवानाम् 'अन्तिए' अन्तिके 'एअम' एतमर्थम् उक्तशक्रवृत्तान्तं 'सोचा' श्रुत्वा 'निसम्म' निशम्य हृदि अवधार्य 'आसुरुत्ते' आसुरुतः क्रुद्धः कोपसूचकरक्तनयनमुखाकृतिर्वा ' रुटे ' रुष्टः रोषयुक्तः 'कुविए' कुपितः कोपाविष्टः 'चंडिकिए' चाण्डिक्यितः प्रचण्डकोपाक्रान्तः सन् 'मिसमिसेमाणे' मिसमिसयन् दन्तौष्ठदशनपूर्वकं 'मिसमिस' इति अव्यक्तशब्दं कुर्वन् 'ते सामाणिअपरिसोववन्नगे' तान् सामानिकपरिषदुपपन्नकान् सामानिकत्वेनोत्पन्नान् 'देवे' देवान् ‘एवं वक्ष्यमाणपकारेण 'वयासी' अवादीत्-'अण्णे खलु भो!' अन्यः अपरः किलभोः ! देवाः ! सक्के देविदे' शक्रो देवेन्द्रः शक्रेन्द्र के वृत्तान्त को कह चुकने के बाद जब 'से' उस प्रसिद्ध असुरिंदे असुरराया चमरे' असुरेन्द्र असुरराज 'चमरे' चमरने 'तेसि' उन सामाणिय परिसोववनगाणं' सामानिक परिषदा में उत्पन्न हुए सामा. निक देवौके 'अंतिए' पासमें 'एयमटुं' उक्त शक्रके वृत्तान्तको सुना 'तो सोचा' सुनकर और 'निसम्म' उसे अपने हृदयमें निश्चित कर वह 'आतुरुत्ते' उसी समय कुद्ध हो गया. कोप सूचक रक्तनयनयुक्त मुखाकृति से संपन्न हो गया (रुटे) रोष सहित हो गया 'कुविए' कोपाविष्ट हो गया. 'चंडिक्किए' प्रचण्डकोप से आक्रान्त हो गया और इस तरह बनकर वह 'मिसिमिसेमाणे' अपने ओठोंको अपने ही दांतोसे चवाने लग गया. क्रोधके प्रचण्ड आवेग से इकदम दबी हुई दशामें अव्यक्त शब्दोंका उच्चारण करते हुए उसने उस समय 'ते' उन 'सामाणियपरिसोववन्नगे देवे' सामानिक परिषदामें उत्पन्न हुए देवोंसे ' एवं वयासी' इस प्रकार कहा 'देविंदे देवराया सक्के 'से असुरिदे असुरराया चमरे' मसुरेन्द्र अस२२।५ यमरे 'तेसि सामाणिय परिसोववन्नगाणं' सामान परिषमा उत्पन्न थये। ते सामानि वा 'अंतिए' पासथी 'एयम ॐन्न ५२ ४ा प्रभारीनु वृत्तान्त न्यारे 'सोच्चा' Airयु भने 'निसम्म तन पोतानाध्यम मम निश्चित यु त्यारे 'आसुरुत्ते' से समय તેને ક્રોધ ચડયો. તે ક્રોધના ચિહ્નો તેની મુખાકૃતિ અને નયનમાં સપષ્ટ દેખાવા લાગ્યા (रुटे) तशेष ध्यो, (कुविए) पायमान थयो, 'चंडिक्किए' तना मागे मागमा प्रय५ व्यापी गयो. 'मिसिमिसेमाणे थी तणे iत ध्यध्यावा भांडया, सामानि परिषहामा उत्पन्न थये। वोन समाधान तेणे मी प्रमाणे - 'देविदे देवराया सक्के भो ! खलु अण्णे हे! हेवेन्द्र हे१२००४ २ ५५ मिन्न छे.
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩