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भगवतीसूत्रे भवता यथा कथितम् तथैव विज्ञेयम् शक्रापेक्षया ईशानेन्द्रस्य विमानानि उच्चानि ईशानापेक्षया शक्रस्य नीचानि वर्तन्ते इति बोध्यम् ।
वायुभूतिः पृच्छति-से केणटेणं भंते' तत् केनार्थन भदन्त ? शक्रेशानयोर्विमानानामुत्कृष्टापकृष्टत्दे उच्चत्वादौ च को हेतुः इति ?
'गोयमो ! से जहा नामए' गौतम ! तद्यथानामकः 'करयले ' करतलं 'हथेली' इति प्रसिद्धम् ‘सिया' स्यात् भवेत् 'देसे' कचिद्भागे 'उच्चे' उच्चम् देवेन्द्र देवराज ईशानके विमानोके प्रमाणादि की अपेक्षासे 'सक्कम्स देविंदस्स देवरण्णो विमाणा' देवेन्द्र देवराज शक्रके विमान प्रमाण आदिमें ' ईसिं णीययरा ' क्या कुछ अधिकनीचे और क्या कुछ अधिकसे अधिक नीचे है-अपकृष्ट हैं । इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं-'हंता गोयमा !' इत्यादि-हां गौतम गोत्रीय वायुभूते । ऐसी ही बात हैं । ईशानके विमान शक्र के विमानोंकी अपेक्षा प्रमाण आदि में कुछ कम हैं और ईशान के विमान कुछ ज्यादा हैं। अब पुनः वायुभूति गौतम से पूछते है कि-'से केणटेणं' हे भदन्त ! ऐसा आप जो कह रहे हैं सों इसमें क्या कारण है-अर्थात् शक्र और ईशानके विमानों में उत्कृष्टता, अपकृष्टता एवं उच्चता आदिमें कारण क्या है ? इसका उत्तर देते हुए प्रभु गौतम से कहते हैं कि 'से जहानामए' हे गौतम ! जैसे 'करयले' करतल-हथेली 'देसे किसी भाग में 'उच्चे' ऊँचा 'सिया' होता है 'देसे' तथा किसी भागमें विमाणे हितो" महत! देवेन्द्र ३१४ शानन विभान ३२त प्रभाहिनी अपेक्षा "सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो विमाणा" देवेन्द्र १२००४ ५४i विमानो "ईसि णीययरा ?" शुयो। प्रभाभा नीयत२ (तन! ४२di नीयi) छे ! शु થોડાં નિમ્નતર (તેના કરતા નીચી કેટિના) છે?
उत्तर--"हंता गोयमा ? त्याहि , भीतम! शानेन्द्रन विमान। ४२ता શદ્રનાં વિમાને પ્રમાણ આદિમાં કંઇક ઉતરતી કેટિનાં છે– ઇશાનેન્દ્રનાં વિમાને ४४ अयी टिना छ.
प्रश्न-“से केणट्रेणं" महन्त! मा५ । ५२ मे ४ा छ ? भेटले શકેન્દ્રના વિમાન કરતાં ઈડાનેન્દ્રના વિમાનો સહેજ ઊંચાં છે, એવું આપ શા કારણે કહે છે!
उत्तर-"से जहानामए करयले देसे " गौतम ! २वी रीत येताना भाn "उच्चे सिया" या डाय छ, “देसे उभर" HING-नत यछ,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩