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भगवतीसूत्रे ष्टयादिना परिघ्नन्ति प्रव्यथन्ते प्रकृष्टकुत्सितदशामुत्पादयन्तीव 'आकविकट्टि आकर्षणविकर्षिकाम् घर्षणादिना तच्छरीरं विडम्बयन्तः 'करेंति' कुर्वन्ति 'हीलित्ता जावआकविकडि' हीलयित्वा यावत् आकर्षणविकर्णिकाम् 'करेत्ता' कृत्वा एगंते एडंति'एकान्ते एडयन्ति प्रक्षिपन्ति एडित्ता पक्षिय'जामेवदिसि पाउ
भूया तामेव दिसिं पडिगया' यामेव दिशं निर्दिश्य प्रादुर्भूता तामेव दिशं प्रतिगताः 'तएणं ते' ततःखलु ते 'ईसाणकप्पयासी' ईशानकल्पवासिनो 'बहवे ' बहवः अनेके 'वेमाणिया' वैमानिकाः 'देवा य देवीओय' देवाश्च देव्यश्च 'बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहि' बलिचञ्चाराजधानीवास्तव्यैः 'बहूहि' बहुभिः 'असुरकुमारेहि' असुरकुमारैः 'देवेहि' देवः 'देवीहिंय देवीभिश्च ' तामलिस्स' तामले 'तजति' अंगुलि से उसे दिखा २ कर उसकी भर्त्सनाकी 'तालेति' लकडी वगैरह से उसे खूब मारा 'परिवति' बहुत बुरी उसकी दशा बनाई 'पव्वहे ति' सब तरह से उसका अपमान किया 'आक. विकड्रिं करेंति' और अपनी इच्छा के अनुसार उस मृतक देह को खूब इधर से उधर जमीन पर घसीटा 'हीलेता जाव आक. विकट्टि करेत्ता' इस प्रकार हीलना यावत् आकर्षण विकर्षिका (घसीटना) करके 'एगते-एडति' फिर उन्होंने उस मृतक शरीर को एकान्त स्थान में ले जाकर डाल दिया । 'एडित्ता' एकान्त स्थान में डाल कर फिर वे 'जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया' असुरकुमार के देवी देवता जहां से आये थे वहीं पर वापिस चले गये 'तएणं ते ईसाणकप्पवासी वहदै वेमाणिया देवाय देवीओ' उनके चले जाने के बाद ईशान कल्पवासी उन अनेक वैमानिक देवाने और देवियोंने 'बलिचचारायहाणिवत्थव्वएहिं बलिचंचाराजधानीके निवासी "तजति" भांजी श्रीधा सीधान तनी मत्सना (ति२२४।२) ४२,"तालेत" alssa माहिथी तेने भूम ५८४ा," परिवति" तेनी घel मारे ६॥ ४, "पव्वति" ४२४ २ तेनुं २०५मान यु', " आकड विकड़ि करेंति" भने ते भृतहेडने तमनी ४२छानुसा२ माम तम गमे या ढसs. "हीलेता जाव आकविकड़ि करेत्ता" मा शत हासना (Aqst) थी सधन सभीन ५२ मा विषy (ढसउपानी (या) पय-तनी हिमाये। बारा तेनुं अपमान ४रीने "एगंते एडंति" तमा તે મૃતશરીરને એકાંત જગ્યાએ લઈ જઈને ફેંકી દઇને તે અસુરકુમાર દે અને દેવિય 'जामेवदिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया'यांथी माव्या हता त्या पाछ यादया गया.
तएणं ते ईसाण कम्पवासी बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य त्या"
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૩