SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 995
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रमेयचन्द्रिा टीका श०२ उ०८ सू०१ चमरेन्द्रस्य सुधर्मासभादिनिरूपणम् ९८१ मविष्कंभेण जंबूद्वीपप्रमाणः प्राकारोद्वयधै योजनशतम् ऊर्ध्वम् उच्चत्वेन मूले पश्चाशन योजनानि विष्कंभेण उपरि अर्धत्रयोदशयोजनानि विष्कंभेण कपिशीर्षकाणि अर्द्धयोजनानि आयामेन क्रोशं विष्कंभेण. देशोनम् अर्धयोजनमूर्ध्वम् उच्च त्वेन एकैकस्यां बाहायाम् पञ्चपञ्चद्वादशशतानि अर्धतृतीयानि योजनशतानि ऊर्ध्वम् उच्चत्वेन अर्ध विष्कंभेण उपरितले खलु षोडशयोजनसहस्राणि आयामविष्कंभेण विक्खंभेणं जंबू दीवप्पमाणा) इस चमरचंचा राजधानी की लंबाई चौडाई एक लाख योजन की है, अतः यह जंबूद्वीप के बरोबर है । (पागारो दिवड्डू जोयणसयं उडू उच्चत्तेणं ) इसका प्राकार एकसौ पचास योजन ऊँचा है। (मूले पन्नासं जोयणाई विक्खंभेणं, उवरिं अद्धतेरस जोयणाई विक्खंभेणं ) इस प्राकार का मूल का विस्तार पचास योजन का है इसके ऊपर के भाग का विष्कंभ साढा बारह (१२॥ ) योजन का है । ( कविसीसगा अद्धजोयणा आयामेणं, कोसं विखंभेणं, देसूणं अद्धजोयणं उर्दू उच्चत्तेणं) इसके कंगूरों की लंबाई आधे योजन की है। और चौडाई एक कोशकी है । ऊँचाई कुछ कम आधे योजन की है । ( एगमेगाए बाहाए पंच पंच दारसया, अडाइजाई जोयणसयाई उड्डू उच्चत्तेणं अद्धं विक्खंभेणं ) एक एक बाहा में पांचसो पांचसौ दरवाजे हैं। इन दरवाजों की ऊँचाई दो सौ पचास योजन की है। ऊँचाई से आधा इनका विष्कंभ है । ( उवरियलेणं सोलसजोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं पन्नास जोयणसहस्सोई पंच य सत्ताणउ य जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं सव्वप्पमाणेण वेमाणियप्पमा योगननी छ. (मूले पन्नास जोयणाइ विक्ख भेण, उवरि अद्धतेरसजोयणाइ विक्खं. मेण) ते अटना भूजन विस्तार ५यास यानी छ भने ५२न मागना विस्ता२ १२॥ सामा२ योजना छे. (कविसीसगा अद्ध जोयणाआयामेण', कोस. विक्खंभेण', देसूण अद्धजोयण उब्लू उच्चत्तेण) तेना in eAns म योनी અને પહેળાઈ એક કેશની છે, ઊંચાઈ અર્ધા એજનથી સહેજ ઓછી છે. (एगमेगाए बाहाए पंचपंच दारसया, अड्ढाइज्जाइ उड्डू उच्चत्तेण अद्ध' विक्खंभेण તે કેટની પ્રત્યેક બાજુએ ૫૦૦-૫૦૦ દરવાજા છે. તે દરવાજાઓની ઊંચાઈ બસે પચાસ એજનની છે. તેથી પહોળાઈ ઉંચાઈ કરતાં અધી (૧૨૫ સવાસે જન छ, ( उवरियलेण सोलसजोयणसहस्साई आयामविक्खंभेण पन्नास जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउय जोयणसए किंचिविसेखणे परिक्खेवेण सम्बप्पमाणेण वेमा શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy