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________________ ९०२ भगवतीसूत्रे 'तामेवदिसं पडिगया' तामेव दिशं प्रतिगताः 'तए णं ते थेरा अन्नया कयाई' ततः खलु ते स्थविराः अन्यदाकदाचित् ' तुंगियाओ णयरीओ पुप्फवइयाओ चेइयाओ' तुङ्गिकायानगर्याः पुष्पवतिकात् चैत्यात् 'पडिनिग्गच्छंति' प्रतिनिर्ग: च्छन्ति 'पडिणिग्गच्छित्ता' प्रतिनिर्गत्य — बहिया जणवयविहारं विहरंति' बहिजनपदविहारं विहरन्तीति ॥ सू०११ ॥ पापित्यीयनिर्ग्रन्थानां तुङ्गिकानगरीतो विहारानन्तरं यदभवत् तद् दर्शयितुमाह ' तेणं कालेणं तेणं समएणं' इत्यादि । मूलम्-तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे जाव परिसा पडिगया, तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स जेट्रे अंतेवासी इंदभूईनामंअणगारे जाव, संखित्तविउलतेयलेस्से छटे छट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तएणं से भगवं गोयमे छठक्खमणपारणगांस पढमाए पोरिसीए. सज्झायं करेइ, बीयाए पोरिसीए, झाणं झियाइ, तइयाए पोरसीए अत्तरियमचवलमसंभत्ते मुहपोत्तियं पडिलेहेइ. पडिलेहित्ता भायणाई वत्थाईपडिलेहेइ पडिलेहित्ता भायणाई पमाजइ, पमजित्ता भायणाई दिशा से आये थे (तामेव दिसि पडिगया ) उसी दिशा की ओर चले गये। (तएणं ) इसके बाद (ते थेरा अन्नया कयाई ) वे स्थविर भगवन्त किसी एक समय में (तुंगियाओ गयरीओ) उस तुंगिका नगरी से और (पुष्फवइयाओ चेइयाओ) पुष्पवतिक चैत्य से (पडिनिग्गच्छंति) निकले (पडिनिग्गछित्ता) बाहर निकल कर ( बहिया जणवयविहारं विहरंति) वहां से और २ देशों में विहार करने लगे ॥ सू०११ ॥ मे हिशमा ७i .. ( तएणं ) त्या२ मा (ते थेरा अन्नया कयाई) है।४ समये ते स्थविर माता ( तुगिया नयरीओ पुप्फाइयाओ चेइ. याओ) तु नामांथी मने घुपति चैत्यमाथी (पडिनिग्गच्छति) मा२ नीxण्या (पडिनिगच्छिता) १७२ नाणीने ( बहिया जणवयविहारविहरंति ) मन्य प्रदेशमा विय२वा साया ॥ सू ११ ॥ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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