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________________ भगवतीसूत्रे ते समणोवासगा थेरेहि भगवंतेहिं इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं वागरिया समाणा हद्वतुट्टा थेरे भगवंते वदति नमंसंति वंदित्ता नमंसित्तापसिणाई पुच्छन्ति पसिणाइं पुच्छित्ता अट्ठाई उवादियंति, उवादिएत्ता उठाए उट्ठोंत उठित्ता थेरे भगवंते तिक्खुत्तो वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता थेराणं भगवंताणं अंतियाओ पुप्फवइयाओ चेइयाओ पडिनिक्खमित्ता जामेव दिसि पाउब्भूया तामेव दिसिंपडिगया। तएणं ते थेरा भगवंतो अन्नया कयाइं तुंगियाओ नयरीओ पुप्फवइयाओ चेइयाओ पडिनिग्गच्छंति पडिनिग्गच्छित्ता बहिया जणवयविहारं विहरंति ॥ सू० ११ ॥ छाका-ततः खलु ते स्थविरा भगवन्तस्तेभ्यः श्रमणोपासकेभ्यस्तस्यां महातिमहालयायां परिषदि चातुर्याम धर्म परिकथयन्ति यथाकेशिस्वामिनः यावत् 'तएणं ते थेरा भगवंतो' इत्यादि । सूत्रार्थ-(तएणं ) इसके बाद (ते थेरा भगवंतो ) उन स्थविर भगवंतो ने (तेसि समणोवासयाण) उन श्रमणोपासकों के लिये (तीसे य महामहालयाए परिसाए ) उस बड़ी भारी विस्तृत सभा में (चाउज्जामं धम्म ) चातुर्याम धर्मका-चारमहाव्रत वाले-धर्मका (परिकहेंति ) उपदेश दिया। (जहा केसिसामिस्त ) केशिस्वामि की तरह जिस प्रकार केशी स्वामी ने चार महाव्रतरूप धर्म कहा उसी प्रकार " तएण ते थेरा भगवंतो त्याह। सूत्राथ—“तएण" त्या२ ६ " ते थेरा भगवंतो" ते स्थविर मसपता “ तेसिं समणोवासयाण " ते श्रमणासाने " तीसे य महइ महालयाए परिसाए" ते घgी माटी सभामा " चाउज्जाम धम्म” यातुर्याभ धर्मना-या२ मडावता यमनी “परिकहे ति” उपहेश वाघी. “ जहाकेसि सामिस्स" ते उपहेश शिस्वामीन अपहेश भु०४५ समन्या. वी शत કેશિસ્વામીએ ચાર મહાવત રૂપ ધર્મને ઉપદેશ આપ્યું હતું તે પ્રમાણેજ શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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