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भगवती सूत्रे उवागच्छन् ' यत्रैव श्रमणो भगवान् महावीरस्तत्रैवोपागच्छति 'उनागच्छित्ता ' उपागत्य ' समणं भगवं महावीरं वंदर नमसर वंदित्ता, नमसित्ता ' श्रमण भगत्रन्तं महावीरं वन्दते नमस्यति वन्दित्वा नमस्थित्वा एवं वयासो' एवमवादीतइच्छामि णं भंते ! ' इच्छामि खलु हे भदन्त ! ' तुम्भेहिं अभ्भणुन्नाए समाणे युष्माभिरभ्यनुज्ञातः सन् ' गुणरयणं संवच्छरं तवोकम्मं ' गुणरत्नं संवत्सरं तपः कर्म ' उपसंपज्जिता णं विहरितए' उपसंपद्य खलु विहर्तुम्, गुणरत्नसंवत्सरतप:प्रतिमा का विधिपूर्वक आराधन किया । इस तरह वे स्कन्दक अनगार ( एगराइयं भिक्खुपडिमं ) एक रात की अवधिवाली इस बारहवीं भिक्षुप्रतीमा को ' अहासुतं ' सूत्र में इसके आराधन करने की जैसी विधि कही गई है उसके अनुसार 'जाव आराहेत्ता' यावत आराधित करके ' जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छद्द ' जहां श्रमण भगबान् महावीर विराजमान थे वहां पर आये । ( उवागच्छित्ता ) श्रमण भगवान् महावीर के पास आ करके उन्हों ने ( समणं भगवं महावीर वंदनमंसइ ) श्रमण भगवान महावीर को वंदना की नरस्कार किया ( वंदित्ता नमसित्ता ) वन्दना नमस्कार करके फिर उन्हों ने उनसे इस प्रकार प्रार्थना की (इच्छामि णं भंते ! ) हे भदन्त ! मैं चाहता हूं कि ' तुम्भेहिं अग्भगुण्णाए समाणे ' आप से आज्ञा प्राप्त कर गुणरयणं संवच्छरं तवोक्रम्मं गुणरत्न संवत्सर नामक तप स्वीकार करूं । अर्थात् मैं गुगरत्न संवत्सर नामका तप स्वीकार करना चाहत हूं। 'गुणरयणं संवच्छरं ' इसकी संस्कृत छाया અણુગારે તે ખારમી ભિક્ષુપ્રતિમાનું વિધિપૂર્વક આરાધન કર્યું. આ રીતે २४४४ गुणारे ( एगराइयं भिक्खुपडिम ) भे: शतनी अवधिवाजी मारभी लिक्षुप्रतिभानुं ( अहासुत्तं ) सूत्रमा तेनी माराधनानी ने विधि जारी छे ते प्रमाणे (जोव आहेत्ता) यावत् आराधन उरीने (जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेत्र उत्रागच्छइ ) त्या२पछी नयां श्रमण भगवान महावीर विराजता हुता त्यां तेथे nu. ( zainfsgar) cui vyà (azoi una' ægðic' ázz adeg ) Aug श्रम लगवान महावीरने वहा नमस्ार र्या, ( वंदित्ता नमसित्ता ) वहा नमस्कार पुरीने तेमाणे तेमने आ प्रमाणे विनति उरी - ( इच्छमि णं भंते ) डेलहन्त ! भारी सेवी रछा छे ( तुक्रमेहिं अग्भणुष्णाए सनाणे ) आपनी माज्ञा प्राप्त पुरीने ( गुणरण संत्रच्छर तवोकम्म) गुगुरत्न संवत्सर नामना તપની આરાધના કરૂં. એટલે કે હું ગુણુરત્ન સંવત્સર તપની આરાધના કરવા भागुं छु. ( गुणरयणं संवच्छर ) नी संस्कृत छाया ( गुणरवत संवत्सर )
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શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨