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________________ ६५६ भगवतीसूत्रे जीवेण चिटइ । भासं भासित्ता विगिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिस्सामातिं गिलाइ । से जहानामए कट्ठसगडियाइवा पत्तसगडियाइवा, तिलसगडियाइवा भंडगस. गडियाइवा, एरंडकट्ठसगडियाइवा, इंगालसगडियाइवा० उण्हे दिण्णा सुक्का समाणो ससदं गच्छइ, सस चिट्ठइ एवामेव खंदए वि अणगारेससहं गच्छइ, ससदं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं अवचिए मंससोणिएणं यासणे विव भासरासिपडिच्छणे तवे णं, तेएणं, तवतेयसिरीए अईव अईव उवसोभेमाणे चिट्टइ॥१४॥ छाया-ततः खलु श्रमणो भगवान् महावीरः कृतंगलातो नगरीतः छत्रपलाशतश्चैत्यात् प्रतिनिष्कामति, प्रतिनिष्क्रम्य बहिर्जनपदविहारं विहरति । ततः खलु स स्कन्दकोऽनगारः श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य तथारूपाणां स्थविराणां स्कन्दक की दीक्षा हो जाने के बाद भगवान बाहर जनपद में विहार किया और कन्दक ने तपश्चरण आदि कार्य किये, इन बात को प्रदर्शित करने के लिये सूत्रकार कहते हैं-'तएणं समणे भगवं महावीरे' इत्यादि सूत्रार्थ-(तएणं समणे भगवं महावीरे) इसके बाद श्रमण भगवान् महावीर ( कयंगलाओ नयरीओ) कृतंगला नगरी से (छत्तपलासयाओ चेइयाओ) छत्रपलाशक चैत्य से (पडिनिवमइ) निकले (पडिनिक्खमि त्ता) निकलकर (बहिया जणवयविहारं विसरइ) वे जनपद में विहार સ્કન્દકની દીક્ષા થઈ ગયા પછી ભગવાન મહાવીરે દેશવિદેશમાં વિહાર શરૂ કર્યો અને સ્કન્દકે તપસ્યા કરવા માંડી, એ વાત સૂત્રકાર નીચેના સૂત્ર 48 तावे छ-तरणं समणे भगवं 'महावीरे त्यादि सूत्रार्थ-( तएणं समणे भगव' महावीरे) त्या२ मा श्रमा सामान मडावी३ ( कयंगलाओ नयरीओ) तसा नसरीना ( छत्तपलासयाओ चेइयाओ) छत्रपक्षाश नामाना यौल्यमाथी ( धान मांथी) (पडिनिक्खमइ) महा२ नीज्य (विडा२ यो ) ( पडिनिक्खमित्ता) त्याथी नीजी (बहिया जणयविहारविहरह) तेसे नयम विडा२ ४२११ साश्या. (तएणं से खंदए अनगारे) શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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