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मैयचिन्द्रका टीका श० २ उ० १ सू. १३ स्कन्दकचरितनिरूपणम् ६१७ तिष्ठति तथा निपीदति तथा त्वग् वर्तयति तथा भुंक्ते, तथा भाषते तथोत्थायो स्थाय प्राणेषु भूतेषु जीवेषु, सत्त्वेषु, संयमेन संयमयति, अस्मिंश्च खलु अर्थे न प्रमाधति । ततः खलु स स्कंदकः कात्यायनगोत्रोऽनगारो जातः ईर्यासमितो भाषा समित एपणासमितः आदानभाण्डामन्त्रनिक्षेपणासमितः उच्चारप्रस्रवणखेल(तह गच्छइ, तह चिट्ठइ, तह निसीयइ, तह तुयदृइ, तह मुंजइ, तह भासइ, तह उट्ठाए उट्ठाय पाणेहिं भुएहिं जीवेटिं, सत्तेहिं संजमेणं संजम इ ) उस प्रकार से चलने लग गये, उस प्रकार से ठहरने लग गये उस प्रकार से बैठने लग गये, उस प्रकार से करवट बदलने लग गये, उस प्रकार से आहार करने लग गये, उस प्रकार से बोलने लग गये, और उस प्रकार से प्रमाद निद्रा को परित्याग पूर्वक सोच समझ कर प्राणियों में, भूतों में, जीवों में, सत्वों में, संयम से प्रवृत्ति करने लग गये । ( अस्सि च णं अटे णो पमायइ ) इस विषय में उन्हों ने थोड़ा सा भी प्रमाद नहीं किया । (तएणं से खंदए कच्चायणस्स गोते अणगारे जाए ) इस तरह वे कात्यायनगोत्रीय स्कन्दक अनगार हो गये । ( ईरियासमिए, भासासमिए, एसणासमिए, आयाणभंडमत्त निक्खेवणासमिए उच्चारपासवणखेलजल्लसिंधाणपरिद्वावणियासमिए) इस अवस्था में उन्हों ने ईर्यासमिति, भाषासमिति एषणा समिति, आदानभांडमात्र निक्षेपणासमिति, उच्चार-प्रस्रवण-खेल( तह गच्छइ ) ते प्रमाणे यासा साया, (तह चिट्ठइ) ते प्रमाणे ४॥ साया, ( तह निसीयइ) प्रमाणे सवा साया, ( तह तुयट्टइ, तह भुजइ,तह भासइ) ते प्रमाणे ५४३२११साया, ते प्रमाणे भाडा२ ४२१॥ साया ते प्रमाणे मोसवा साया, ( तह उदाए उड़ाय पाणेहिं, भूएहिं, जीबेहिं, सत्तेहिसंजमेण सजमइ) मने ते प्रमाणे प्रभा २डित मनीन सभ वियाशन ભૂત પ્રત્યે પ્રાણીઓ પ્રત્યે, જે પ્રત્યે અને સર્વે પ્રત્યે સંયમ પૂર્વકનું વર્તન રાખવા લાગ્યા. એટલે કે એ જીવેને દુઃખ ન થાય એ રીતે યતનાપૂર્વક સંયમી
न ७११साया (अरिंस च ण अटे णो पमायइ ) २ मतमा तमा मिल प्रभाह ४२ता नहीं, (तएण से खंदए कच्चायणस्स गोत्ते अणगारे जाए)
॥ शते त्यायन गोत्री त २४४४ २मगार सनी या. (ईरिया समिए, भास'समिए एसणासमिए, आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए, उच्चारपासवण खेलजल्लसिंघाणपरिट्ठावणियासमिए) ते (१) सिमिति (२) भाषाસમિતિ (૩) એષણા સમિતિ (૪) આદાન ભાંડ-માત્ર નિક્ષેપણ સમિતિ
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨