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________________ ५३८ भगवतीस से खंदए कच्चायणस्स गोत्ते भगवं गोयमे एवं वयासीसे के से णं गोयमा! तहारूवे णाणी वा-तवस्सी वा, जे गं तव एस अहे मम ताव रहस्सकडे हव्वं अक्खाए जओणं तुमं जाणसि । तएणं से भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणस्स गोतं एवं वयासी-एवं खलु खंदया ! मम धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली तीयपडुप्पन्नमणागयवियाणए सवण्णू सव्वदरिसी जे णं मम एस अढे तव ताव रहस्स कडे हव्वं अक्खाए जओणं अहं जाणामि खंदया !! तएणं से खंदए कच्चायणस्सगोत्ते भगवं गोयमं एवं वयासी गच्छामो णंगोयमाइ तवधम्मायरियं धम्मोवदेसयं समणं भगवं महावीरंवंदामो नमंसामोजाव पज्जुवासामो। अहासुहं देवाणुप्पिया मा पडिबंधं करेह, तएणं से भगवं गोयमे खंदएणं कच्चायणस्स गोत्तेणं सद्धिं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ सू०१०॥ छाया-ततः खलु भगवान् गौतमः स्कन्दकं कात्यायनगोनं अदूरागत ज्ञात्वा क्षिप्रमेव अभ्युत्तिष्ठति, अभ्युत्थाय क्षिप्रमेव प्रत्युपगच्छति, प्रत्युपगत्य इस के बाद क्या हुआ-सो सूत्रकार कहते हैं-'तएणं भगवं गोयमे' इत्यादि। सूत्रार्थ - (तएणं ) तब ( भगवं गोयमे ) भगवान गौतम (कच्चायणस्स गोत्तं खंदयं ) कात्यायन गोत्रवाले उस स्कन्दकको ( अदुरागयं जाणित्ता ) पास में आया हुआ जानकर (खिप्पामेव अब्भुटेइ ) बहुत त्या२मा शु. मन्युं ते सूत्रा२ ४ छ-"तएणं भगवं गोयमे ' त्या: सूत्राथ-(तएणं) त्या२५छी ( भगवं गोयमे ) भगवान गौतम ( कच्चायणस्स गोतं खंद) त्यायन गोत्राण ते २४४ने ( अदूरा गयं जणिता) नभ मापी पयसा oneीने (खिप्पामेब अब्भुइ) पाताने मासनेयी શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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