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________________ भगवतीसूत्रे मूलम्-तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी रोहे णामं अणगारे पगइभदए, पगइमउए, पगइविणीए, पगइउवसंते, पगइपयणुकोहमाणमायालोभे, मिउमदवसंपन्ने, अल्लीणे, भदए, विणीए, समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड़ेजाणू अहोसिरे, झाणकोट्रोवगए, संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तएणं से रोहे अणगारे जायसड्डे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी पुत्विं भंते ! लोए पच्छा अलोए? पुर्दिवं अलोए पच्छा लोए? रोहा ! लोए य अलोए य, पुट्विपेते, पच्छापेते, दोवि एए, सासया भावा,अणाणुपुठवी एसा रोहा!। पुचि भंते जीवा पच्छा अजीवा, पुर्दिक अजीवा पच्छा जावा?, जहेब लोए अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य। एवं भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य, सिद्धी असिद्धी, सिद्धा असिद्धा । पुब्धि भंते अंडए पच्छा कुक्कुडी ? पुर्दिवं कुक्कुडी पच्छा अंडए ?, रोहा ! से गं अंडएकओ?, भयवं! कुक्कुडीओ, सा णं कुक्कुडी कओ?, भंते! अंडयाओ, एवमेव रोहा! से य अंडए सा य कुक्कुडी पुटिव पेते पच्छापेते दोवि एएसासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा!, पविभंते! लोयंते पच्छा अलोयंते, पुटिव अलोयंते पच्छा लोयंते?, रोहा! लोयंते य अलोयंते य जाव अणाणपुबी एसा रोहा!, पुठिंव भंते! लोयंते पच्छा सत्तमे उवासंतरे पुच्छा, रोहा! लोयंते य सत्तमे उवासंतरे य, पुल्विपते पच्छापेते, दोवि एए सासया भावा अणाणुपुवी एसा रोहा!। एवं लोयंते य सत्तमे य तणुवाए, एवं घणवाए, घणोदही, सत्तमा पुढंवी, एवं लोयंते एकोकणं संजोएयत्वे इमेहि ठाणेहिं तं जहा-(गाहा) શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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