________________
--
---
प्रमेयचन्द्रिका टीका श० १० १० सू० १ अभ्ययूथिकमतनिरूपणम् १६७
मूलम्-अन्न उत्थिया णं भंते ! एवं आइक्खंति जाव एवं परूवेंति, एवं खलु चलमाणे अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे अणिज्जिन्ने दो परमाणु पोग्गला एगयओ न साहणंति, दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयओ न साहणंति, तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, कम्हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति, तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अस्थि सिणेहकाए, तम्हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयओ साहणंति ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जंति, दुहा कज्जमाणा एगयओ दिवड्डे परमाणु पोग्गले भवइ, एगयओ वि दिवड्डे परमाणुपोग्गले भवइ, तिहा कज्जमाणा तिपिण परमाणुपोग्गला भवंति, एवं जाव चत्तारि० पंच परमाणु पोग्गला एगयओ साहणंति, एगयओसाहणित्ता दुक्खत्ताए कज्जति, दुक्खे वि य णं से सासए सया समियं उवचिज्जइ य अवचिज्जइ य । पुवि भासा भासा, भासिज्जमाणी भासा अभासा, भासासमय विइकंतं च णं भासिया भासा, जा सा पुत्वं भासा भासा, भासिज्जमाणी भासा अभासा, भासा समय विइकंतं च णंभासिया भासा, सा किं भासओ भासा, अभासओ भासा, अभासओणं सा भासा, नो खल्लु सा भासओभासा । पुवि किरिया दुक्खा, कजमाणी किरिया अदुक्खा, किरिया समयवीइकंतं च णं कड़ा किरिया दुक्खा, पुर्दिव किरिया दुक्खा, कज्जमाणा किरिया अदुक्खा, किरिया
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨