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टीका ०५ उ०९०५ कालास्यवेषिकपुत्रप्रश्नोत्तर निरूपणम् २९७
जानंति, स्थविरा: प्रत्याख्यानं न जानन्ति, स्थविराः प्रत्याख्यानस्यार्थं न जानन्ति, स्थविरा: संयमं न जानन्ति, स्थविराः संयमस्यार्थ न जानन्ति स्थविशः संवरं न जानन्ति, स्थविरा: संवरस्यार्थं न जानन्ति, स्थविरा: विवेकं न जानन्ति, स्थविरा: विवेकस्यार्थं न जानन्ति स्थविरा: व्युत्सर्ग न जानन्ति, स्थविरा: व्युत्सर्गस्यार्थ न जानन्ति, ततस्ते स्थविरा: भगवन्तः कालास्यवेषिकपुत्रमन गारमेवमवादिषुः जानीम लोग सामायिक नहीं जानते हैं, सामायिक के अर्थ को नहीं जानते हैं (थेरा पच्चक्खाणं न जाणंति ) हे स्थविरो! आप लोग प्रत्यख्यान को नहीं जानते हैं (थेरा पच्चक्खाणस्स अहं न जाणंति ) हे स्थविरों ! आप लोग प्रत्याख्यान के अर्थ को नहीं जानते हैं। (थेरा संजमं न जाणंति ) हे स्थविरो ! आप लोग संयम को नहीं जानते हैं । ( थेरा संझमस्स अहं न जाणंनि ) हे स्थविरो ! आप लोग संयम के अर्थ को नहीं जानते हैं । ( थेरा संवरं न जानंति) हे स्थविरो! आप लोग संवर को नहीं जानते हैं । ( थेरा संवरस्स अहं न जाणंति ) हे स्थविरो : आप लोग संवर के अर्थ को नहीं जानते हैं । (थेरा विवेगं न जाणंति, धेरा विवेगस्स अहं न जाणंति ) हे स्थविरो! आप लोग विवेक को नहीं जानते हैं और हे स्थविरो ! आप लोग विवेक के अर्थ को नहीं जानते हैं । (थेरा विसग्गं न जानंति, थेरा विउसगस्स अहं न जानंति) हे स्थथिरो ! आप लोग व्युत्सर्ग को नहीं जानते हैं । हे स्थविरो ! आप लोग व्युत्सर्ग के अर्थ को नहीं जानते हैं । ( तरणं ते थेरा भगवंतो
जाणंति ) हे स्थविरो ! तभे सामायिक लघुता नथी भने सामायिनो अर्थ पशुता नथी. ( थेरा पच्चक्खोणं न जाणति ) हे स्थविरो ! तभे प्रत्याध्यानने लगता नथी, ( थेरा पच्चक्खाणस्स अट्ठ न जाणंति ) भने हे स्थविरौ ! तभे प्रत्यामाननो अर्थ पशु लघुता नथी, (थेरा संजम न जाणंति ) हे स्थविशे ! तभे संभने लगुता नथी, ( थेरा संजमस्स अहं न जाणंति ) मने हे स्थविरो ! तमे संभ्भनो अर्थ पशु लघुता नथी, ( थेरा संवर न जाणंति ) हे स्थविरेश ! तभे सवरने लगता नथी, ( थेरा संवरस्स अ न जाणंति ) भने हे स्थविशे ! तभे सवरना अर्थ पशु समन्ता नथी, ( थेरो विवेगं न जाण ंति, थेरा विवेगस्स अहं न जाणंति ) हे स्थविरो ! तमे दिवेકને જાણતા નથી, અને હું સ્થવિરેશ ! તમે વિવેકને અ પણ જાણતા નથી. ( थेरा विसग्गं न जाणंति, थेरा विउसगस्स अटुं न जाणंति ) हे स्थानिश ! તમે વ્યુત્સને જાણતા નથી, અને હે વિરા ! તમે બ્યુત્સગ નો અર્થ પણુ लघुता नथी. (तएण ते थेरा भगवंतो कालासवेसिपुत्त अणगार एवं वयासी ) भ ३८
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨