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________________ १७६ भगवतीसूत्रे __सप्तममुद्देशकं निरूप्य, तदनु अष्टमं निरूपयति, तदनयोः सप्तमाष्टमोद्देशकयोः परस्परमयं संबन्धः, सप्तमोद्देशके जीवानां गर्भवासः प्रतिपादितः, गर्भवासश्चजीवानां सत्यायुष्के एव भवति, इत्यायुषो निरूपणायायमष्टमोद्देशकः तथा प्रथमशतकमथमोद्देशकस्यादौ संग्रहगाथायां-'बाले'ति यदुक्तं तदिहवालस्य निरूपणाय चाष्टमोद्देशकः प्रारभ्यते, तस्य प्रारभ्यमाणस्याष्टमोद्देशकस्येदमादिमं सूत्रम्'रायगिहे ' इत्यादि। __ मूलम्—रायगिहे समोसरणं जाव एवं वयासी-एगंत बालेणं भंते ! मणुस्से किं णेरइयाउयं पकरेइ तिरिक्खाउयं पकरेइ, मणुस्साउयं पकरेइ, देवाउयं पकरेइ ? णेरइयाउयं किच्चा णेरइएसु उववज्जइ, तिरिक्खाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जइ, मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जइ, देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जइ ? गोयमा ! एगंत बालेणं का कथन, वीर्यविचार लब्धिवीर्य तथा करणवीर्य का विचार, चौवीस दण्डक, उद्देशक की परिसमाप्ति सप्तम उद्देशक का निरूपण करके अब सूत्रकार आठवें उद्देशक का निरूपण करते हैं। इन दोनों सातवें और आठवें उद्देशकों का आपस में इस प्रकार से संबंध है-सप्तम उद्देशक में जीवों का गर्भवास प्रतिपादित किया गया है-सो यह गर्भवास जीवों का आयुकर्म के होने पर ही होता है। इस आयु कर्मके निमित्त तथा प्रथम शतकके प्रथम-उद्देशक की आदि में संग्रह गाथा में “ बाल" ऐसा जो कहा गया है सो उस पाल के निरूपण करने के निमित्त यह आठवां उद्देशक प्रारंभ किया गया है उसका सर्व प्रथम सूत्र (रायगिहे समोसरणं जाव) इत्यादि है । સાતમા ઉદ્દેશનું નિરૂપણ કરીને હવે સૂત્રકાર આઠમાં ઉદ્દેશનું નિરૂપણ કરે છે. તે બને ઉદ્દેશાઓ વચ્ચે પરસ્પરનો સંબંધ આ પ્રમાણે છે–સાતમા ઉદેશકમાં જીવોના ગર્ભવાસનું પ્રતિપાદન કરાયું છે–જીવોને ગર્ભવાસ આયુષ્ય. કર્માના સદ્દભાવથી જ થાય છે. તેથી આયુષ્યકર્મનું નિરૂપણ કરવાના આશયથી તથા પહેલા શતકના પહેલા ઉદેશની શરૂઆતમાં આવતી સંગ્રહગાથામાં જે " बाल ” ५४ आवे छे, सतुं नि३५४४ ४२वाने माटे 20 218Hi उदेशन। भामध्ये . तेनुं सौथी पड सूत्र “ रायगिहे समोसरणं जाव" त्याहि छे. શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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