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________________ १०५२ भगवतीने केवलदर्शनपर्यवाणाम् उपयोगं गच्छति, उपयोग लक्षणः खलु जीवः तदेतेनार्थेन एवमुच्यते गौतम ! जीवः खलु सोत्थानो यावत् वक्तव्यं स्यात् ॥ सू० ३ ॥ टीका-" जीवेणं भंते " जीवः खलु भदन्त " स उठाणे " सोत्थानः उत्थानं चेष्टाविशेषः " स कम्मे " सकर्मा - क्रियाविशेषयुक्तः " स बले" सबल:-बलं शारीरसामर्थ्यम् " स वीरिए" सवीर्यः वीर्य जीवभवम् “ स पुरिसक्कार - परक्कमे " सपुरुषकारपराक्रमः - पुरुषकारोऽभिमानविशेषः पराक्रमः पुरुषकार एव निष्पादितविषयः “आयभावेणं " आत्मभावेन-आत्मस्वरूपेणेत्यर्थः "जीवभावं" जीवभावं जीवत्वं चैतन्यमित्यर्थः 'उपदंसेतीति वत्तव्वं अचखुदंणपज्जवाणं, ओहिदसणपज्जवाणं, ) चक्षुर्दर्शन की अनन्तपर्यायों के, अचक्षुर्दर्शन की अनन्तपर्यायों के अवधिदर्शन की अनन्तपर्यायों के ( केवल दंसणपज्जवाणं ) और केवल दर्शन की अनन्त पर्यायों के ( उवओगं गच्छह ) उपयोग का प्राप्त करता है । ( उवओगलक्खणे जीवे से ) उपयोगलक्षणवाला जीव है । ( एएटेणं एवं वुच्चइ गोयमा ! जीवे णं सउटाणे जाव वत्तव्वं सिया) इस कारण हे गौतम ! मैंने ऐसा कहा है कि उत्थान आदि विशेषणों वाला जीव यावत् जीवभाव को दिखाता है ऐसा वक्तव्य हो सकता है ॥ सू. ३ ॥ । टीकार्थ-(जीवे णे भंते ! ) हे भदन्त ! जीव (सउट्ठाणे सकम्मे ) चेष्टा विशेषरूप उत्थान वाला होकर, ज्ञानवरणीय आदि कर्मवाला होकर (सबले) शारीरिक सामथ्यरूप बल विशिष्ट होकर (सवीरिए) जीवसंबंधी बलसे युक्त होकर (सरिसकारपरक्कमे ) अभिमानविशेष रूप पुरुषकार से और पराक्रम से युक्तहोकर ( आयभावेणं ) आत्माजीवे से) ७ ५ सक्ष पाण। छ. (ए एटेण एव वुच्चइ गोयमा ! जीवेणं सउदाणे जाव वत्तव सिया) गीतम! ते २थे में मे धुंछ , स्थान આદિ વિશેષણેથી યુક્ત જીવ આત્મભાવરૂપ ચૈતન્ય બતાવે છે, એવું કથન ४॥ २४॥य छे. ॥ सू. ३ ॥ Astथ- (जीवेणभंते ! ) 3 महन्त ! ७१ (सउदाणे सकम्मे ) विशिष्ट थेष्टा३५ जत्थान पाणी, ज्ञानावरणीय माहि भवाणी, (सवले) शारीरिक ३५ मत पाणी, (सवीरिए) वीर्य पाणी " सपुरिसक्कारपरकमे " सलिभान विशेष३५ पुरुष४.२ भने पराभपाणी थने ( आयभावेण') आत्म શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
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