SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 1018
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १००४ भगवती सूत्रे ड्राइज्जादीचा ' अर्धतृतोयौ द्वीपों अर्धमधिकं विद्यते यत्र तादृशौ यद्वा तृतीयFors भागेन युक्तौ द्वौ द्वीपों इति तथा अर्धतृतीयौ द्वीप इति कथ्यते ' दो य समुद्दा ' द्वौ च समुद्रौ ' एसणं एवइए समयखेत्ते त्ति पवुच्चइ ' एतत् खलु एतावत् समयक्षेत्रमिति मोच्यते ' तत्थ णं ' तत्र खलु तत्र सार्द्धद्वीपद्वयसमुद्रस्य मध्ये. ' अयं जंबू दीवेदीवे ' अयं जंबूद्वीपनामको द्वीपः सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वर्भतरे' सर्वद्वीपसर्वसमुद्राणामभ्यन्तरे तिष्ठतीति शेषः, ' समयखेत्तेत्ति ' समयक्षेत्रमिति तत्र समयः कालः कालेनातीतानागतवर्त्तमानलक्षणेनोपलक्षितं यत् सम 6 प्रभु उनसे कहते हैं कि ( गोधमा ) हे गौतम ! ( अड्डाइज्जा दीवा ) अढाई द्वीप और ( दो य समुद्दा ) दो समुद्र ( एस णं एवइए समयखेति पच्चइ ) इतना यह समय क्षेत्र कहा गया है । इस प्रकार के कथन से जंबुद्वीप, धातकीखंड और आधा पुष्कर वर द्वीप इतना क्षेत्र समयक्षेत्र है तथा इसमें जो लवणसमुद्र और कालोदधि समुद्र ये जो दो समुद्र हैं यह सब समयक्षेत्र कहा गया है । समय शब्द का अर्थ काल है और इस काल से उपलक्षित जो क्षेत्र है वह समयक्षेत्र है । इसे टीकाकार स्वयं आगे स्पष्ट कर रहे हैं ( तत्थ णं ) वहां ढाईद्वीप और दो समुद्र के बीच में (अयं जंबूदीवे दीवे) जो जंबूद्वीप नामका पहिला द्वीप है वह (सव्वद्दीवसमुद्दाणं सव्वभतरे) समस्त द्वीप और समुद्रों के ठीक बीचों बीच है। समयक्षेत्र का तात्पर्य क्या है ? सो इसे टीकाकार स्पष्ट करते हैं- समय नाम काल का है इसके अतीत, अनागत, और वर्तमान ऐसे तीन भेद हैं इन महावीर स्वामी ते प्रश्नो साप्रमाणे भवाम आये है - ( गोयमा ! ) डे गौतम ! ( अड्डाइज्जादीवा ) अढी द्वीप भने ( दो य समुद्दा ) में समुद्रोने (çam' gagg anuèà fa qgzag) uuuận sê J. ¿à } qualu, ધાતકીખડ અને અર્ધી પુષ્કરદ્વીપ, એ અઢી દ્વીપને તથા લવણુસમુદ્ર અને કાલેાધિ સમુદ્ર, એ એ સમુદ્રોને સમયક્ષેત્ર કહે છે. સમય એટલે કાળ તે કાળથી ઉપલક્ષિત જે ક્ષેત્ર તેનુ' નામ સમયક્ષેત્ર છે. સૂત્રકાર પાતે જ भागज तेनुं स्पष्टी उरे छे - ( तत्थणं ) त्यां मढी द्वीप मने मे समुद्रोनी बृध्थे (अयं ज'बुदवे दीवे) में मूद्वीप नामनो पहेलो द्वीप छे ते ( सव्वद्दीवसमुद्दाणं सव्वन्भतरे ) समस्त द्वीपो भने समुद्रनी मरामर वरये छे. સમયક્ષેત્ર એટલે શુ' ટીકાકાર તેનુ સ્પષ્ટીકરણ નીચે પ્રમાણે કરે છે-સમય એટલે કાળ. તેના ત્રણ ભેદ છે-ભૂતકાળ, ભવિષ્યકાળ અને વર્તમાનકાળ તે શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૨
SR No.006316
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1962
Total Pages1114
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size65 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy