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भगवतीसूत्रे
बध्नन्ति । कथं खलु भदन्त ! जीवाः कांक्षामोहनीयं कर्म बध्नन्ति ? गौतम ! प्रमादप्रत्ययात् योगनिमित्तं च । तद् भदन्त ! प्रमादः किमवहः ? गौतम ? योगप्रवहः । तद् भदन्त ! योगः किं प्रवहः ? गौतम ! वीर्य्यमवहः । तद् भदन्त ! वीर्य किंमवहम् , गौतम ! शरीरप्रवहम् । तद् भदन्त ! शरीरं किंप्रवहम् ? गौतम ! जीवमवहम् । एवं सति अस्ति उत्थानमिति वा कर्मेति वा, बलमिति वीर्य्यमिति वा, पुरुषकारपराक्रम इति वा || सू०८॥
वा
बंध करते हैं ? ( गोयमा ! पमायपच्चया जोगनिमित्तं च ) हे गौतम प्रमादरूप कारण से और योगनिमित्त जीव से कांक्षामोहनीयकर्म का बंध करते हैं । ( से णं भते ! पमाए किंपवहे ? ) हे भदन्त ! वह प्रमाद किससे उत्पन्न होता है ? ( गोयमा ! जोगप्पव हे ) हे गौतम ! वह प्रमाद योग से उत्पन्न होता है । ( से णं भंते! जोए पिवहे ? ) हे भदन्त ! वह योग किस से उत्पन्न होता है ? (गोयमा ! वीरियप्पवहे) हे गौतम! वह योग वीर्य से उत्पन्न होता है । ( से णं भंते ! वीरिए किं पवहे ? ) हे भदन्त ! वह वीर्य किससे उत्पन्न होता है ? ( गोयमा ! सरीरप्पवहे) हे गौतम ! वह वीर्य शरीर से उत्पन्न होता है। (से णं भंते ! सरीरे किं पव) हे भदन्त ! वह शरीर किससे उत्पन्न होता है ? ( गोयमा ! जीव
as) हे गौतम! वह शरीर जीव से उत्पन्न होता है । ( एवं सति अस्थि उट्ठाणे वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिए वा, पुरिसकारपरकम्मेइ वा) इस प्रकार होने पर उत्थान है, कर्म है, बल है, वीर्य है पुरुषकार पराक्रम है ।
जोग निमित्तं च ) हे गौतम! प्रभाहने भर तथा योगनिभित्तथी वो अंक्षाभोडुनीयम्भ'ना अंध जांघे छे. ( से णं भंते! पमाए किपवहे ? ) डे पून्य! ते प्रभाह शाथी उत्पन्न थाय छे ? ( गोयमा ! जोगपवहे) हे गौतम! ते प्रभाह योगथी उत्पन्न थाय छे. ( से णं भंते! जोए पिवहे ? ) डे पून्य ! ते योग शाथी उत्पन्न थाय छे ? ( गोयमा ! वीरियप्पवहे ) हे गौतम! ते योग वीर्य थी उत्पन्न थाय छे ? ( से णं भंते ! वीरिएकिं पवहे ? ) हे पून्य ! ते वीर्य शाथी उत्पन्न थाय छे ? ( गोयमा ! सरीरप्पवद्दे) हे गौतम! ते वीर्य शरीरथी उत्पन्न थाय छे. ( से णं भंते ! सरीरे किंपवहे ?) डे पून्य ! ते शरीर शाथी उत्पन्न थाय छे ? ( गोयमा ! जीवप्पव हे ) हे गौतम ! ते शरीर, लवथी उत्पन्न थाय छे. ( एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा बलेइ वा, वीरिएड् वा, पुरिसकारपरकमेइ वा ) श्याम थवार्थी उत्थान छे, उभ छे, मत छे, वीर्य छे, પુરુષકારપરાક્રમ છે,
શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧